पाकिस्तान-चीन की बढ़ सकती है टेंशन, अंबाला में राफेल की तैनाती का रास्ता साफ
देश में राफेल सौदे को लेकर चल रही बहस के बीच अंबाला एयरफोर्स पर राफेल एयरक्राफ्ट की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है.
नई दिल्ली:
देश में राफेल सौदे को लेकर चल रही बहस के बीच अंबाला एयरफोर्स पर राफेल एयरक्राफ्ट की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है. माना जा रहा है कि इससे चीन और पाकिस्तान की टेंशन बढ़ सकती हैं. देश के सबसे महत्वपूर्ण अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में चौथी प्लस पीढ़ी के आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल तैनात होंगे. इंडियन एयरफोर्स द्वारा राफेल के आगमन से पहले अंबाला में सन 1997 से तैनात मिग-21 बाइसन श्रेणी के विमानों की नंबर तीन कोबरा स्क्वाड्रन को अंबाला से राजस्थान के नाल एयरबेस में शिफ्ट कर दिया गया है.
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शिफ्टिंग का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और अंबाला के आकाश में मिग-21 विमान उड़ान भरते नहीं दिखेंगे. जल्द ही नए राफेल विमान इनका स्थान लेंगे. उधर, एयरफोर्स ने मिग-21 स्क्वाड्रन के ऑपरेशनल कारणों से शिफ्ट होने की पुष्टि की है. बता दें कि 36 राफेल विमानों की खरीद के बाद इनकी दो स्क्वाड्रन में से एक को अंबाला में तैनात करने की योजना है.
बता दें कि राफेल डील को लेकर राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस लगातार बीजेपी और मोदी सरकार पर हमला बोल रही है. संसद में इस मुद्दे पर कई बार बहस हो चुकी है. इस सत्र में भी इस मुद्दे पर बहस चल रही है. कांग्रेस इस पर जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से जांच की मांग पर अड़ी हुई है तो सरकार इससे इन्कार कर रही है. सरकार का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस सौदे में कोई खामी नहीं पाई है, लिहाजा अब कोई जांच की जरूरत नहीं है.
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सरकार की ओर से रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन और वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इस पर कई बार ब्लाग्स और प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से जवाब दे चुके हैं, लेकिन कांग्रेस राजी नहीं हो रही है. कांग्रेस नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कुछ दिनों पहले कहा था, अगर इस सरकार में जेपीसी गठित नहीं हुई तो अगली सरकार में जेपीसी गठित की जाएगी.