संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को धूल चटाने के लिए ये है मोदी सरकार का मास्टरप्लान
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्यों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. न्यूयॉर्क में भारतीय अधिकारी इन 15 सदस्य देशों के उच्चाधिकारियों के संपर्क में हैं.
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (article 370) हटाकर पाकिस्तान को चारों खाने चित करने के बाद भारत अब संयुक्त राष्ट्र में भी इमरान खान की सरकार को धूल चटाने की तैयारी में है. इमरान खान की सरकार ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का मामला संयुक्त राष्ट्र (United Nation) में उठाएगा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र को इस बाबत पत्र भी लिखा है. इसी बाबत भारत ने तैयारी करनी शुरू कर दी है.
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मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्यों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. न्यूयॉर्क में भारतीय अधिकारी इन 15 सदस्य देशों के उच्चाधिकारियों के संपर्क में हैं. जम्मू और कश्मीर से आखिर क्यों आर्टिकल 370 हटाया गया, इस बारे में इन देशों को अवगत कराया जा रहा है. उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि आर्टिकल 370 हटाने से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय देशों को क्या फायदे होंगे. कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने के बारे में भी सुरक्षा परिषद के सदस्यों को बताया जा रहा है.
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पाकिस्तानी सेना के बयान पर पाक को घेरेगा भारत
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को भारत यह भी बताने वाला है कि पाकिस्तान की सेना कहा था कि इस्लामाबाद कभी भी आर्टिकल 370 और 35A को मान्यता नहीं देता है. ये बयान पाकिस्तान के पक्ष को खासा कमज़ोर कर सकता है. सवाल उठता है कि अगर वो इस आर्टिकल 370 को मान्यता नहीं देता है, तो फिर इसको लेकर बवाल क्यों खड़ा कर रहा है.
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पाकिस्तान ने लिया यू-टर्न
विश्व समुदाय में कही से भी समर्थन न मिलता देख पाकिस्तान ने अब यू-टर्न ले लिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गुरुवार को कहा कि भारत अगर कश्मीर पर अपने कदमों पर पुनर्विचार को राजी हो जाता है, तो इस्लामाबाद उसके खिलाफ राजनयिक संबंधों को कम करने सहित अपने निर्णयों की समीक्षा करने को तैयार है. इससे पहले कुरैशी ने कहा था, पाकिस्तान सैन्य विकल्प पर विचार नहीं कर रहा है. इसकी जगह हम मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए राजनीतिक, कूटनीतिक और कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.