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JNU केस: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, कहा- चार्जशीट फाइल करने की क्या थी जल्दी, अगली सुनवाई 29 मार्च को

मुख्य लोकअभियोजक ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने में 2-3 महीनों का समय लग सकता है.

News Nation Bureau
| Edited By :
11 Mar 2019, 01:00:46 PM (IST)

नई दिल्ली:

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य 9 छात्रों के खिलाफ राजद्रोह मामले में अब 29 मार्च को सुनवाई करेगी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए एक बार फिर कहा कि बिना मंजूरी के चार्जशीट फाइल करने की जल्दी क्या थी. मुख्य लोकअभियोजक ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने में 2-3 महीनों का समय लग सकता है. कोर्ट ने दिल्ली के डीसीपी से इस मामले में अपडेट के लिए एक रिपोर्ट की भी मांग की है. कोर्ट सोमवार को घटनाक्रम का वीडियो देखेगी.

सुनवाई के दौरान मुख्य महानगर दंडाधिकारी दीपक शेरावत ने दिल्ली पुलिस से कहा, 'बिना मंजूरी के चार्जशीट फाइल करने में इतनी जल्दी क्यों थी? आप मंजूरी मिलने के बाद चार्जशीट फाइल कर सकते थे.'

अदालत ने इससे पहले भी पुलिस को बिना सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के आरोपपत्र दाखिल करने को लेकर फटकार लगाई थी. सोमवार को सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए क्योंकि एक दुर्घटना का शिकार हो गए.

दिल्ली सरकार ने क्या कहा था

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि सरकार आरोप पत्र का अध्ययन कर रही है. पुलिस ने इसे दायर करने में 3 साल का समय लिया और यह आरोप पत्र काफी विस्तृत है.

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उन्होंने यह भी कहा था कि आरोप पत्र को ठीक चुनावों से पहले दायर किया गया, जिससे इस पर सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने कहा था, 'उन्होंने (दिल्ली पुलिस) इसे बिना अनुमति के व चुनावों से पहले दायर किया, इससे कुछ सवाल खड़े होते हैं. ऐसे में कानून के अनुसार आरोप पत्र का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है और सरकार इसी के अनुसार कोई फैसला लेगी.'

क्या है पूरा मामला

यह मामला संसद हमले में फांसी की सजा पाने वाले अफजल गुरु की बरसी पर 9 फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है.

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू में 9 फरवरी, 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान नारे लगाने के मामले के आरोपी के रूप में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और 7 अन्य कश्मीरी छात्रों के खिलाफ तीन सालों के बाद 14 जनवरी 2019 को आरोप-पत्र दाखिल किए थे.

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इन लोगों पर देशद्रोह, जानबूझ कर चोट पहुंचाने, धोखाधड़ी, नकली दस्तावेज का इस्तेमाल करने, गैर-कानूनी रूप से एकत्रित होने, एक उद्देश्य के लिए गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने, दंगा फैलाने और आपराधिक साजिश रचने से निपटने वाली भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे.

कन्हैया कुमार और उमर खालिद ने दिल्ली पुलिस के आरोपपत्र दाखिल करने पर यह कहते हुए सवाल उठाए हैं कि यह 'राजनीति से प्रेरित' है और आम चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा 'ध्यान भटकाने की चाल' है.