LIVE: आंदोलन के दौरान गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान की मौत
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन आज 37वें दिन में प्रवेश कर गया है. राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसान बैठे हैं.
नई दिल्ली:
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन आज 37वें दिन में प्रवेश कर गया है. राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसान बैठे हैं. ठंड के मौसम और महामारी की चिंताओं के बावजूद, मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के हजारों किसानों का विरोध प्रदर्शन नवंबर के अंत में शुरू हुआ और यह अभी तक जारी है. गतिरोध को तोड़ने के लिए सरकार और किसान यूनियनों के बीच अभी तक 6 दौर की औपचारिक बातचीत हो चुकी है. लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है. हालांकि उम्मीद है कि नए साल में संकट को समाप्त करने के लिए कोई समाधान निकलेगा.
आंदोलन के दौरान गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान की मौत
नोएडा- चिल्ला बॉर्डर पर किसानों को पुलिस वालों ने फूल देकर नए साल की बधाई दी. किसानों ने भी पुलिस वालों को फूल दे कर नए बधाई दी. चिल्ला बॉर्डर पर दिखी जय जवान जय किसान की तस्वीर एक साथ.
चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने आज रागिनी कलाकारों को बुलाया है. नए साल पर किसान कर रहे हैं विशेष आयोजन.
आज किसानों के विरोध के दौरान सिंघु बॉर्डर पर 'खालसा यूथ ग्रुप' द्वारा पगड़ी लंगर लगाया गया.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 4 जनवरी को होने वाली बैठक में कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाने पर चर्चा होगी. आज सभी लोग विधिवत रूप से इस पर चर्चा करेंगे कि पहले हुई बैठक में क्या हुआ और अगली बैठक में क्या होगा.
नए साल के अवसर पर सिंघु बॉर्डर पर 'नगर कीर्तन' आयोजित किया गया. किसानों को यहां कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करते हुए 37 दिन हो गए हैं.
दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी किसानों के बीच पहुंचे और आंदोलन को समर्थन दिया.
किसान नेता कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े हैं. आज बैठक करके किसान संगठन आगे की रणनीति तैयार करेंगे.
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता स्वर्ण सिंह पंडर ने आज अपने समर्थकों से कहा है कि वो नए साल के मौके पर बीजेपी के नेताओं के घर का घेराव करें.
किसानों के आंदोलन के चलते चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर को बंद कर दिया गया है.
पटियाला से दो दोस्त करीब 250 किलोमीटर साइकल चलाकर टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने जा रहे हैं. परमिंदर सिंह ने बताया कि हमें सिर्फ टिकरी बॉर्डर दिख रहा है, जहां हमारे भाई-बहन बैठे हैं.