किसानों का आज से और तेज होगा आंदोलन, दिल्ली-जयपुर हाइवे करेंगे जाम
नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन शनिवार को 17वें दिन में प्रवेश कर जाएगा, लेकिन किसी भी हाल में उनके तेवर नरम होते नजर नहीं आ रहे हैं, बल्कि हंगामा बढ़ने की संभावना है.
नई दिल्ली:
नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन शनिवार को 17वें दिन में प्रवेश कर जाएगा, लेकिन किसी भी हाल में उनके तेवर नरम होते नजर नहीं आ रहे हैं, बल्कि हंगामा बढ़ने की संभावना है. जहां दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसान संगठनों ने ट्रैफिक ठप करनी की चेतावनी दी है तो वहीं हरियाणा में टोल प्लाजा को घेरने का आह्वान किया है. इसे लेकर गुरुग्राम और फरीदाबाद में पुलिस अलर्ट है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इसी क्रम में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर एस. राजेवाल ने कहा कि 12 दिसंबर को हम दिल्ली-जयपुर रोड और आगरा हाईवे जाम करेंगे.
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बलबीर एस. राजेवाल ने कहा कि डिप्टी कलेक्टर के दफ्तरों, बीजेपी नेताओं के घरों के सामने प्रदर्शन करेंगे. इसके साथ ही हम टोल प्लाजा भी ब्लॉक कर करेंगे. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि ट्रेन रोकने का किसानों का कोई इरादा नहीं है. दिल्ली-एनसीआर आ रहे किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.
आपको बता दें कि पहले दिन से ही किसान तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसानों ने अब इस आंदोलन को बड़े स्तर पर ले जाने का मन बना लिया है. अब किसान 12 दिसंबर को देश के टोल नाकाओं को मुक्त करने की तैयारी में हैं, जबकि देशभर में 14 दिसंबर को बीजेपी नेताओं के घेराव से लेकर जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन की योजना है. किसान शनिवार को आगरा हाईवे भी जाम करेंगे.
किसान नेता बोले- अगर सरकार किसानों से बात करना चाहती है तो करे ये काम
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि यदि सरकार किसान नेताओं से बातचीत करना चाहती है तो उसे पिछली बार की तरह औपचारिक रूप से संदेश देना चाहिए. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नये कृषि कानूनों के निरसन से कुछ भी कम स्वीकार्य नहीं होगा. सरकार ने बृहस्पतिवार को किसान संगठनों से, उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने के उसके प्रस्तावों पर गौर करने का आह्वान किया था और कहा था कि जब भी किसान संगठन चाहें, वह उनके साथ अपनी इस पेशकश पर चर्चा के लिए तैयार है.
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टिकैत ने कहा कि उसे (सरकार को) पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह कब और कहां हमारे साथ बैठक करना चाहती है जैसा कि उसने पिछली वार्ताओं के लिए किया. यदि वह हमें वार्ता का निमंत्रण देती है तो हम अपनी समन्वय समिति में उसपर चर्चा करेंगे और फिर निर्णय लेंगे. भाकियू नेता ने कहा कि जबतक सरकार तीनों कानूनों को निरस्त नहीं करती है तबतक घर लौटने का सवाल ही नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार ने आगे की चर्चा के लिए न्यौता भेजा है तो उन्होने कहा कि किसान संगठनों को ऐसा कुछ नहीं मिला है.