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भाकियू के नेता राकेश टिकैत( Photo Credit : फाइल फोटो)
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भाकियू के नेता राकेश टिकैत( Photo Credit : फाइल फोटो)
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि यदि सरकार किसान नेताओं से बातचीत करना चाहती है तो उसे पिछली बार की तरह औपचारिक रूप से संदेश देना चाहिए. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नये कृषि कानूनों के निरसन से कुछ भी कम स्वीकार्य नहीं होगा. सरकार ने बृहस्पतिवार को किसान संगठनों से, उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने के उसके प्रस्तावों पर गौर करने का आह्वान किया था और कहा था कि जब भी किसान संगठन चाहें, वह उनके साथ अपनी इस पेशकश पर चर्चा के लिए तैयार है.
टिकैत ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उसे (सरकार को) पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह कब और कहां हमारे साथ बैठक करना चाहती है जैसा कि उसने पिछली वार्ताओं के लिए किया. यदि वह हमें वार्ता का निमंत्रण देती है तो हम अपनी समन्वय समिति में उसपर चर्चा करेंगे और फिर निर्णय लेंगे. भाकियू नेता ने कहा कि जबतक सरकार तीनों कानूनों को निरस्त नहीं करती है तबतक घर लौटने का सवाल ही नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार ने आगे की चर्चा के लिए न्यौता भेजा है तो उन्होने कहा कि किसान संगठनों को ऐसा कुछ नहीं मिला है.
उन्होंने कहा कि एक बात बहुत स्पष्ट है कि किसान नए कृषि कानूनों के निरस्तन से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे. किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को घोषणा की थी कि यदि उनकी मांगें सरकार नहीं मानती है तो वे देशभर में रेलमार्गों को जाम कर देंगे और शीघ्र ही उसकी तारीख घोषित करेंगे. हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आशा जताई कि शीघ्र ही हल निकल आएगा.
उन्होंने केंद्रीय खाद्य एवं रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ संवाददाताओं से कहा कि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ और चर्चा करने के लिए तैयार है, हमने किसान संगठनों को अपने प्रस्ताव भेजा हैं. उन्होंने कहा कि मैं उनसे यथासंभव चर्चा के लिए तारीख तय करने की अपील करना चाहता हूं. यदि उनका कोई मुद्दा है तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है.
कृषि मंत्री ने कहा कि जब वार्ता जारी है तब किसान संगठनों के लिए आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना उचित नहीं है, उनकी उनसे वार्ता की मेज पर लौट आने की अपील है. ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन समिति ने तोमर की उनके बयान को लेकर आलोचना की और दावा किया कि सरकार ही है जो कानूनों को वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है.
Source : Bhasha