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झूठ बन चुकी है मोदी सरकार की पहचान, देश के लोगों को नजर रखने की जरूरत: अरुण शौरी

जाने-माने पत्रकार व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने रविवार को आरोप लगाया कि झूठ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान है और यह नौकरियां पैदा करने जैसे कई वादों को पूरा करने में विफल रही है।

News Nation Bureau
| Edited By :
26 Nov 2017, 11:49:19 PM (IST)

highlights

  • शौरी ने कहा नेता लोगों को आज आसानी से बेवकूफ बना रहे हैं
  • शौरी के अनुसार झूठ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान है
  • नौकरियां पैदा करने जैसे कई वादों को पूरा करने में विफल रही है मोदी सरकार: शौरी

नई दिल्ली:

जाने-माने पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने रविवार को आरोप लगाया कि झूठ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान है और यह नौकरियां पैदा करने जैसे कई वादों को पूरा करने में विफल रही है।

शौरी ने सीधे-सीधे नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि आज के दौर में नेता लोगों को आसानी से बेवकूफ बना रहे हैं।

शौरी ने देश में रोजगार को लेकर किए जा रहे दावों पर भी सरकार और मीडिया पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन नहीं हुआ है, बल्कि 1.5 करोड़ रोजगार खत्म हुए हैं।

साथ ही उन्होंने बीजेपी के गुजरात मॉडल पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'यह अखबारों का और हमारी भी भारी असफलता है कि हमने विकास के गुजरात मॉडल के दावों की जांच नहीं की।'

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके शौरी ने देश के लोगों से सरकार के कार्यों को सूक्ष्म रूप से आंकने का आग्रह किया।

एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए शौरी ने कहा कि वह कई उदाहरण दे सकते हैं जिसमें अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर 'सरकार ने सिर्फ मुद्रा योजना द्वारा साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा नौकरियां पैदा करने का आंकड़ा दिया है।'

उन्होंने कहा, 'लेकिन, हमें इस पर आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए, झूठ सरकार की पहचान बन चुका है।'

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शौरी ने कहा कि हमें एक व्यक्ति या नेता लंबे समय से क्या कर रहा है, उसकी जांच नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसके कार्य पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए।

महात्मा गांधी का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा, 'गांधीजी कहते थे कि वह (व्यक्ति) क्या कर रहा यह मत देखिए, बल्कि उसके चरित्र को देखिए और आप उसके चरित्र से क्या सीख सकते हैं।'

उन्होंने कहा, 'हमने दो बार (पूर्व प्रधानमंत्री) वी.पी.सिंह व नरेंद्र मोदी के मामले में चूक कर दी। वे वही बात कहते हैं जो उस क्षण के लिए सुविधाजनक होती है।'

अरुण शौरी ने केंद्र सरकार द्वारा शीतकालीन सत्र को छोटा करने की भी कड़ी आलोचना की।

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