हमारे संविधान में हर चुनौतियों से निपटने की ताकत, जितना जवाबदेह है उतना ही सक्षम: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय कानून दिवस के अवसर पर देश के संविधान की मजबूती को बताते हुए कहा कि हमारा संविधान जितना जवाबदेह है, उतना ही सक्षम भी है।
highlights
- संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ हमारे संविधान ने हर परीक्षा को पार किया है
- पीएम मोदी ने कहा कि 'न्यू इंडिया' बनाने के लिए लोगों को संगठित होकर काम करना करना होगा
- प्रधानमंत्री ने एक बार फिर लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने पर दिया जोर
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय कानून दिवस के अवसर पर देश के संविधान की मजबूती को बताते हुए कहा कि हमारा संविधान जितना जवाबदेह है, उतना ही सक्षम भी है।
राष्ट्रीय कानून दिवस और संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ हमारे संविधान ने हर परीक्षा को पार किया है।
विज्ञान भवन में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस ऐतिहासिक दस्तावेज(संविधान) को बनाना आसान नहीं था, जिसने एक देश को समेटा, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा सम्प्रदाय, 100 से ज्यादा भाषाएं और 1700 से ज्यादा बोलियां हो और कई सारे विश्वासों के साथ लोग रहते हों।'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमारे संविधान ने उन लोगों की हर आशंका को गलत साबित किया है, जो कहते थे कि समय के साथ जो चुनौतियां देश के सामने आएंगी, उनका समाधान हमारा संविधान नहीं दे पाएगा।'
मोदी ने कहा, 'हमारा संविधान जितना जीवंत है उतना ही संवेदनशील भी है। हमारा संविधान जितना जवाबदेह है, उतना ही सक्षम भी।'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'बाबा साहेब ने कहा था कि संविधान व्यवहारिक, लचीला और युद्ध और शांति के समय में देश को एकजुट करने की क्षमता रखता है।'
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि भारत एक युवा राष्ट्र है। इसे मजबूत बनाने के लिए सभी संवैधानिक संस्थाओं को एक साथ आकर काम करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'सोच भी आत्मविश्वास से भरी होनी चाहिए। हम रहे या ना रहे लेकिन ये देश रहने वाला है, हम रहे या ना रहे लेकिन जो व्यवस्था हम देश को देकर जाएंगे वो सुरक्षित, स्वाभिमानी और स्वावलंबी भारत की व्यवस्था होनी चाहिए।'
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पीएम मोदी ने कहा कि 'न्यू इंडिया' बनाने के लिए लोगों को संगठित होकर काम करना करना होगा और 21वीं सदी में भारत को ऊंचाईयों पर ले जाना होगा।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की भूमिका शासक की नहीं बल्कि सेवा प्रदाता जैसी है। प्रधानमंत्री ने केंद्र में सरकार के तीन सालों की उपलब्धि पर भी चर्चा की और कहा कि देश में सुविधाओं को पाना आसान हो गया है।
मोदी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की तारीफ करते हुए कहा, 'जीएसटी ने देश को संगठित किया है और एक राष्ट्र एक टैक्स के सपने को पूरा किया है।'
साथ ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इससे चुनावी खर्चे और आर्थिक संसाधनों पर बोझ खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा, '2009 के आम चुनावों में 1,100 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि 2014 के चुनावों में 4,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। हर चार से छह महीने पर चुनाव कराना काफी खर्चीला और बोझिल होता है। देश में एक साथ चुनाव कराने पर देश में एक बड़ी बहस की जरूरत है।'
इस कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद के अलावा प्रशासनिक पदों के कई लोग मौजूद थे।
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