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5G टावर की टेस्टिंग से नहीं फैल रहा कोरोना, संचार मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण

संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग ने कहा कि 5G को लेकर सोशल मीडिया पर जो अफवाहें फैल रही हैं वो बिल्कुल सही नहीं है. मंत्रालय ने आम जनता से अपील कि वे इस तरह के भ्रामक और अफवाह फैलाने वाले संदेशों पर भरोसा नहीं करे.

News Nation Bureau
| Edited By :
10 May 2021, 10:17:25 PM (IST)

highlights

  • कोरोना संक्रमण और 5G टावर की टेस्टिंग का कोई संबंध नहीं
  • संचार मंत्रालय ने कहा- अफवाहों पर ध्यान ना दे जनता

नई दिल्ली:

कोरोना (Coronavirus) महामारी को लेकर अफवाहों और फेक खबरों (Fake News) का बाजार भी काफी गर्म है. सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच वायरस को लेकर एक से एक अफवाहें फैलाई जा रही हैं. पिछले काफी समय से सोशल मीडिया और लोगों के बीच एक अफवाह काफी जोर पकड़ी रही है और वो ये है कि कोरोना वायरस का संक्रमण 5G टावर की टेस्टिंग (5G Testing and COVID-19 Connection) का दुष्परिणाम है. अर्थात 5G टावर की टेस्टिंग की वजह से कोरोना वायरस इतनी तेजी से फैल रहा है. इस पर संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग ने स्पष्टीकरण जारी किया है. 

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संचार मंत्रालय (IT & Broadcast Ministry) ने कहा कि कोरोना संक्रमण के फैलाव और 5जी तकनीक के बीच कोई लिंक नहीं है. संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग ने कहा कि 5G को लेकर सोशल मीडिया पर जो अफवाहें फैल रही हैं वो बिल्कुल सही नहीं है. मंत्रालय ने आम जनता से अपील कि वे इस तरह के भ्रामक और अफवाह फैलाने वाले संदेशों पर भरोसा नहीं करे. मंत्रालय ने कहा कि 5G तकनीक और कोरोना वायरस के फैलाव के बीच लिंक होने की बात झूठ है इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

संचार मंत्रालय ने कहा कि भारत मे कहीं भी अभी तक 5G नेटवर्क की टेस्टिंग शुरू नहीं हुई है. लिहाजा दोनों के बीच लिंक होने की बात पूरी तरह से निराधार है. वास्तव में मोबाइल टावर नॉन आई अइयोनाइजिंग रेडियो फ्रीक्वेंसी छोड़ता है, जिसमे बहुत ज्यादा माइनसकुल पावर होता है. और यह मानव शरीर सहित किसी भी जीवित जीव जंतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है.

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संचार मंत्रालय ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने पहले से ही रेडियो फ्रीक्वेंसी छोड़ने संबंधी सख्त नियम तय कर रखे है. जो विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेशनल कमीशन ऑन नॉन अइयोनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन द्वारा निर्धारित या सिफारिशों के सुरक्षा मानकों से कम से कम 10 गुना ज्यादा सख्त है. इससे पहले पीआईबी ने कहा है कि ये दावा एकदम फर्जी है.