AyodhyaVerdict : 9 फरवरी 2020 की तारीख मंदिर निर्माण के लिए क्यों है खास, जानें यहां
Ayodhya Supreme Court Verdict : कई सदियों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आज आखिरकार फैसला सुना ही दिया. सीजेआई रंजन गोगोई ने एक-एक कर कई बिंदुओं पर फैसला पढ़ा.
New Delhi:
Ayodhya Supreme Court Verdict : कई सदियों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आज आखिरकार फैसला सुना ही दिया. सीजेआई रंजन गोगोई ने एक-एक कर कई बिंदुओं पर फैसला पढ़ा. इस मामले पर फैसला सुनाने से पहले सीजेआई रंजन गोगोई ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की. यह फैसला सर्वसम्मति से हुआ है. यानी 5 जजों की बेंच ने एक मत से यह फैसला सुनाया. इस दौरान कोर्ट ने जताया आस्था पर विश्वास जताया. सीजेआई ने माना की मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी. इसके साथ ही निर्मोही अखाड़े का भी दावा खारिज कर दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े के पास मालिकाना हक नहीं है. उसके पास सिर्फ रख-रखाव का हक है.
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इसके पहले सुबह फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि इस बात के सबूत मिले हैं कि हिंदू बाहर पूजा-अर्चना करते थे, तो मुस्लिम भी अंदर नमाज अदा करते थे. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया कि 1857 से पहले ही पूजा होती थी. हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि 1949 को मूर्ति रखना और ढांचे को गिराया जाना कानूनन सही नहीं था. संभवतः इसीलिए सर्वोच्च अदालत ने मुसलमानों के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने की व्यवस्था भी की है.
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राम में आस्था रखने वालों के विश्वास और आस्था की पुष्टि भी सुप्रीम कोर्ट ने की है. सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को कानूनी वैधता प्रदान कर एक तरह से यह भी स्वीकार किया कि अयोध्या ही श्री राम की जन्मस्थली है. राम लला विराजमान खुद अयोध्या विवाद मामले में पक्षकार हैं. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने राम चबूतरे और सीता रसोई के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए माना कि अंग्रेजों के जमाने से पहले भी हिंदू वहां पूजा करते रहे हैं. हालांकि अदालत ने यह जरूर कहा कि रामजन्मस्थान को लेकर दावा कानूनी वैधता को स्वीकार नहीं किया. एक लिहाज से अदालत ने हिंदू धर्म में स्थान को पवित्र मानकर पूजा और देवता का कोई विशेष आकार को गैर जरूरी ही माना.
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कोर्ट ने यह भी कहा है कि मंदिर बनाने के लिए केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्ट बनाए. आज नौ नवंबर को फैसला सुनाया गया है. इस लिहाज से देखें तो तीन महीने का समय नौ फरवरी 2020 तक खत्म हो जाएगा. इससे पहले ही केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाना होगा. इस बीच जफरयाब जिलानी ने कहा है कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया है, उसे पूरी तरह ठीक से पढ़ा जाएगा, उसके बाद ही रिव्यू पटीशन के बारे में सोचा जाएगा. फैसला ठीक से देखने के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि पांच एकड़ जमीन हमारे लिए मायने नहीं रखती.
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जानें पांच बिंदु
1. अयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा
2. विवादित जमीन हिंदुओं को मिली
3. मस्जिद कहीं और बनेगी
4. मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाएगी सरकार
5. तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाएगी सरकार