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AyodhyaVerdict : एक ऐसा केस, जहां भगवान राम ही खुद फरियादी

प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्‍यक्षता में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ शनिवार को सुबह 10:30 बजे ऐतिहासिक और देश के सबसे पुराने मुकदमे में फैसला सुनाएगी. अयोध्‍या मामले पर फैसला सुनाने जा रहे सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पांचों जजों प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई के साथ जस्टिस एसए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नज़ीर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

Updated on: 09 Nov 2019, 09:52 AM

New Delhi:

Ayodhya Verdict : प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्‍यक्षता में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ शनिवार को सुबह 10:30 बजे ऐतिहासिक और देश के सबसे पुराने मुकदमे में फैसला सुनाएगी. अयोध्‍या मामले पर फैसला सुनाने जा रहे सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पांचों जजों प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई के साथ जस्टिस एसए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नज़ीर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ आज अब से कुछ ही देर बाद फैसला सुनाने जा रही है. बताया जा रहा है कि मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की सुरक्षा को जेड-प्लस कर दिया गया है. रंजन गोगोई इस मामले के पांच सदस्यीय संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं.

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अयोध्या में यह विवाद कई साल से चला आ रहा है. उम्‍मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब यह विवाद पूरी तरह से खत्‍म हो जाएगा. यह मुकदमा इसलिए भी खास हो जाता है कि इसमें कोर्ट के सामने खुद भगवान राम फरियादी हैं. 1989 के आम चुनाव से ठीक पहले विश्व हिंदू परिषद के नेता और रिटायर्ड जज देवकी नंदन अग्रवाल ने एक जुलाई को भगवान राम के मित्र के रूप में पांचवां दावा फैजाबाद की अदालत में दायर किया. बाद में इस दावे को स्वीकार कर लिया गया था. 23 दिसंबर 1949 को राम चबूतरे की मूर्तियां मस्जिद के अंदर रखी गईं. दावा किया गया कि जन्म स्थान और भगवान राम दोनों पूज्य हैं और वही इस संपत्ति के मालिक भी हैं.

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मुकदमे में यह भी कहा गया था कि राम जन्म भूमि न्यास इस स्थान पर एक विशाल मंदिर बनाना चाहता है. इस दावे में राम जन्म भूमि न्यास को भी प्रतिवादी बनाया गया था. अशोक सिंघल इस न्यास के मुख्य पदाधिकारी थे. इस तरह पहली बार विश्व हिंदू परिषद भी परोक्ष रूप से पक्षकार बना. इस मुकदमे में मुख्य तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया था कि बाबर ने एक पुराना राम मंदिर तोड़कर वहां एक मस्जिद बनवाई थी. दावे के समर्थन में अनेक इतिहासकारों का हवाला भी दिया गया था.

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30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया था. हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 30 सितंबर 2010 को हाई कोर्ट ने अयोध्या के विवादित स्थल को राम जन्मभूमि करार दिया था. हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया था. कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच जमीन बराबर बांटने का आदेश दिया था. केस से जुड़ी तीनों पार्टियां निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और रामलला विराजमान ने यह फैसला मानने से मना कर दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई. यह मामला पिछले नौ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था. इस मामले की 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई जो 16 अक्टूबर को खत्म हुई.

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सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अयोध्या में धारा 144 लागू है. साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. अयोध्या में अर्धसैनिक बलों के 4000 जवानों को तैनात किया गया है. अधिकारी ने बताया, राज्यों को सभी संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो.