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पैंगोंग से सैनिकों के हटने के बाद खतरा सिर्फ 'कम हुआ है', खत्म नहींः आर्मी चीफ नरवणे

चीन (China) के साथ समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग (Pangong Tso) झील क्षेत्र से सैनिकों के हटने के बाद भारत के लिए खतरा केवल ‘कम हुआ’ है, लेकिन यह बिल्कुल खत्म नहीं हुआ है.

News Nation Bureau
| Edited By :
26 Mar 2021, 07:55:18 AM (IST)

highlights

  • नाव के चलते क्षेत्र में गश्त शुरू नहीं हुई
  • गैर नियंत्रित क्षेत्रों में जो जहां था वहीं है
  • चीनी भारत नियंत्रित क्षेत्रों में नहीं आए

नई दिल्ली:

थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे (MM Naravane) ने कहा कि चीन (China) के साथ समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग (Pangong Tso) झील क्षेत्र से सैनिकों के हटने के बाद भारत के लिए खतरा केवल ‘कम हुआ’ है, लेकिन यह बिल्कुल खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में उन क्षेत्रों में अब भी बैठे हैं जो पिछले साल मई में गतिरोध शुरू होने से पहले भारत के नियंत्रण में थे. खासतौर पर यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी अब भी उन क्षेत्रों में बैठे हैं जो अप्रैल 2020 से पहले भारत के नियंत्रण में थे, नरवणे ने कहा, ‘नहीं, यह एक गलत बयान होगा.’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे क्षेत्र हैं जो किसी के नियंत्रण में नहीं हैं. इसलिए जहां हम नियंत्रण कर रहे हैं, हम उन क्षेत्रों में थे और जहां वे (चीनी) नियंत्रण कर रहे हैं, वे उन क्षेत्रों में थे.’

भारतीय इलाके में चीन का कब्जा नहीं: आर्मी चीफ
पर्वतीय क्षेत्र की स्थिति के बारे में बताते हुए नरवणे ने टाइम्स नेटवर्क के ‘इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव’ में कहा कि पीछे के क्षेत्रों में सैन्य शक्ति उसी तरह बरकरार है जिस तरह यह सीमा पर तनाव के चरम पर पहुंचने के समय थी. सत्र में यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस टिप्पणी से सहमत हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि चीनी भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र में नहीं आए हैं, नरवणे ने ‘हां’ में जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘हां, बिलकुल.’ आर्मी चीफ नरवणे ने यह भी कहा कि क्षेत्र में गश्त शुरू नहीं हुई है क्योंकि तनाव अब भी काफी है और टकराव की स्थिति हमेशा रहती है. उन्होंने कहा, ‘अभी कुछ क्षेत्र हैं जहां हमें चर्चा करनी है लेकिन सभी चीजों को मिलाकर मुझे लगता है कि यह विश्वास करने के लिए हमारे पास काफी मजबूत आधार है कि हम अपने सभी उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे.’

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'सैनिकों की पूर्ण वापसी से पहले हालात सामान्य नहीं कह सकते'
आर्मी चीफ ने कहा, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा पर समूचा मुद्दा इन ‘ग्रे’ क्षेत्रों की वजह से है, क्योंकि कोई चिह्नित वास्तविक नियंत्रण रेखा नहीं है और अलग-अलग दावे और अवधारणाएं हैं. आप यह बयान नहीं दे सकते कि मैं कहां हूं, वह कहां है.’ उन्होंने कहा कि जब तक सैनिक पीछे के इलाकों से नहीं लौटते तब तक यह कहना संभव नहीं होगा कि चीजें सामान्य हैं.