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Home Remedy: टीबी के इलाज में प्रभावी मानी जाती है ये चीजें, आजमायें 7 घरेलू उपाय

टीबी के इलाज का कोर्स पूरा करना बेहद जरूरी है. कुछ चीजें इलाज में तेजी ला सकती हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलु उपाय बताएंगे, जो टीबी की बीमारी को जल्द ठीक करने में कारगर हो सकते हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
24 Mar 2021, 02:36:30 PM (IST)

नई दिल्ली:

टीबी, तपेदिक या क्षय रोग एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है. क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, मगर धीरे धीरे यह शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करने लगता है. फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, लिवर, किडनी, गले और मुंह आदि में भी टीबी हो सकती है. सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, जो हवा के माध्यम से लोगों के बीच फैलती है. टीबी के मरीज खांसी, छींक या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं.

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बताया जाता है कि फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती. मगर टीबी एक खतरनाक बीमारी है. यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है. टीबी संक्रमण के लक्षण, खून-वाली थूक के साथ पुरानी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना हैं. थकावट होना, वजन घटना और सांस लेने में परेशानी होना भी टीबी के लक्षण होते हैं. इसलिए टीबी के आसार नजर आने पर जांच करा लेनी चाहिए. टीबी के इलाज का कोर्स पूरा करना बेहद जरूरी है. कुछ चीजें इलाज में तेजी ला सकती हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलु उपाय बताएंगे, जो टीबी की बीमारी को जल्द ठीक करने में कारगर हो सकते हैं.

इन चीजों से ला सकते हैं टीबी के इलाज में तेजी

दूध- तपेदिक के रोगियों के लिए दूध काफी अच्छा माना जाता है. दूध, कैल्शियम के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक है. तपेदिक के इलाज के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है. ऐसे में तपेदिक और इसके लक्षणों के इलाज में काफी सहायक होता है. हालांकि कुछ रोगियों को दूध या दूध उत्पादों से बचने की सलाह भी दी जाती है.

ग्रीन टी- ग्रीन टी को एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर माना जाता है. कहा जाता है कि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है. ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनोल, तपेदिक के बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम माने जाते हैं.

लहसुन- लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड होता है. यह तपेदिक से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. यह तपेदिक पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में भी लहसुन कारगार होता है. रोगाणुरोधी गुण से भरपूर लहसुन, प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा दे सकता है.

पुदीना- पुदीने में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो तपेदिक से प्रभावित ऊतकों के उपचार में मददगार साबित हो सकते हैं.

आंवला- आंवला में जीवाणुरोधी गुण होते हैं. इसे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रभावकारी माना जाता है. आंवला के सेवन से संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है.

काली मिर्च- काली मिर्च को फेफड़ों को साफ करने और बलगम उत्पादन को कम करने में लाभकारी माना जाता है. तपेदिक के कारण होने वाले सीने के दर्द से भी काली मिर्च राहत दिलाने में मददगार होती है. यह छींक और खांसी में भी आरामदायक होती है.

अनानास- अनानास को भी तपेदिक के इलाज में लाभदायक बताया जाता है. अनानास का रस बलगम गठन को कम करता है और साथ ही तेजी से रिकवरी देता है.