.

इस राज्य में अब बच्चों को नहीं उठाना पड़ेगा 'बस्ते का बोझ', राज्य सरकार ने शुरू की ये खास पहल

यह एक तरह से पाइलट प्रोजेक्ट होगा. अगर 33 जिलों में होने वाला यह पाइलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो यह नीति पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा.

04 Aug 2019, 02:00:50 PM (IST)

highlights

  • अब राजस्थान में बच्चों को नहीं उठाना पड़ेगा बस्ते का बोझ.
  • राजस्थान सरकार बच्चों की किताबों को चैप्टर वाइज बांटने का कर रही है विचार. 
  • 33 जिलों में पहले चलाया जाएगा पायलट प्रोजेक्ट.

जयपुर:

अब राज्य सरकारें बच्चों के पीठ से किताबों का बोझ उतारने के बारे में सोचने लगी हैं और इसी कड़ी में एक पहल की है राजस्थान राज्य़ की सरकार (Rajasthan State Government) ने. राजस्थान सरकार अब कुछ ऐसा करेगी कि स्कूली बच्चों को किताब का बोझ नहीं उठाना है. दरअसल राजस्थान की सरकार ने पूरी किताब को चैप्टर वाइज बांट कर दिया जाएगा जिसका पूरा खर्च राजस्थान की सरकार ही उठाएगी. ऐसा करने से बच्चे बस्ते के बोझ से बच जाएंगे और कुछ अलग कर पाएंगे.
सूत्रों के अनुसार, राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया है. बताया जा रहा है कि इसके लिए एक कमेटी भी बना दी गई है.

यह भी पढ़ें: IIT में फुल हुई सारी सीटें, एचआरडी सचिव ने ट्वीट कर कही ये बात

किताबों का बोझ कम करने के लिए पाठ्यक्रम के हिसाब से अलग-अलग पार्ट बनाकर के बच्चों को मुहैया कराई जाएगी. इसके अलावा निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा मनमर्जी रूप से पाठ्यक्रम लागू करने और फीस वसूलने पर भी अंकुश लगाने के प्रयास राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे हैं शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने बताया कि पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से पूरे राजस्थान के 33 जिलों में एक-एक स्कूल चिन्हित करके यह प्रयोग किया जा रहा है जिसमें पाठ्यक्रम के हिसाब से चैप्टर चैप्टर वाइज अलग-अलग छोटी पुस्तक बनाकर के बच्चों को दी जाएगी.

यह भी पढ़ें: अब TET की परीक्षा दे पाएंगे ये छात्र, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये बड़ा फैसला

यह एक तरह से पाइलट प्रोजेक्ट होगा. अगर 33 जिलों में होने वाला यह पाइलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो यह नीति पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा. हालांकि शिक्षा मंत्री द्वारा इस बात का आश्वासन दिया कि इस नीति पर किसी भी तरह का खर्च अभिभावकों पर नहीं पड़ेगा.

राज्य में निजी स्कूल अपने मन से सेलेबस नहीं निर्धारित कर पाएंगे और न ही किसी भी तरह से मनमानी फीस वसूल पाएंगे. शिक्षा मंत्री के मुताबिक, अगर किसी भी निजी स्कूल या शिक्षण संस्थान के खिलाफ शिकायत मिली तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.