नोटबंदी की वजह से दिवाली पर फीकी रहेगी सोने की चमक- WGC
भारत में कुल आभूषण की मांग 2017 की दूसरी तिमाही में 126.7 टन थी, जो 2016 की दूसरी तिमाही की 89.8 टन मांग के मुकाबले 41 प्रतिशत अधिक है।
नई दिल्ली:
विश्व स्वर्ण परिषद (डब्लूयूजीसी) के प्रबंध निदेशक सोमासुंदराम पी.आर. ने बताया कि इस दिवाली के मौके पर जीएसटी, नोटबंदी और धनशोधन रोधी (एएमएल) कानून के प्रभाव की वजह से सोने की चमक फीकी रहेगी।
सोमासुंदरम ने एक इंटरव्यू में कहा, 'इस बार दिवाली की अपनी चुनौतियां हैं, लेकिन मैं अब भी आशावादी हूं, क्योंकि सब कुछ ठीक हो चुका है। यह एएमएल का हिस्सा है, जो शायद इस समय लोगों को परेशान कर रहा है। इसके कारण धनतेरस पर खरीदारी से ज्यादा शादी की खरीदारी अधिक प्रभावित होगी।'
उन्होंने कहा, 'मुझे अभी भी लगता है कि प्रशासन को ढेर सारी समस्याएं होंगी, लेकिन उपभोक्ता को उतनी नहीं होगी। संगठित क्षेत्र में अच्छी तेजी है। हालांकि, नोटबंदी और एएमएल निश्चित रूप से प्रभावित कर रहे हैं।'
सोमासुंदरम ने कहा, 'पहली छमाही (जनवरी-जून) में आयात 532 टन था, जबकि मांग अभी भी 298 टन थी। दरअसल, जीएसटी से पहले लोग जितना ज्यादा आयात कर सकते थे, उतना किए, लेकिन उस हिसाब से मांग नहीं बढ़ी।'
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डब्लूयूजीसी ने इससे पहले की रिपोर्ट में बताया, 'हम देख रहे हैं कि जीएसटी के बाद उपभोक्ता व्यवहार बदल रहा है। हमारे 26 सालों के आंकड़ों के आर्थिक विश्लेषण से पता चला है कि उच्च कर सोने की मांग को घटाती है। बल्कि कर ऐसा हो जो उपभोक्ता के लाभ के लिए उद्योग को बदले।'
डब्ल्यूजीसी के हाल ही के आंकड़ों में बताया कि 2017 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत में सोने की मांग 167.4 टन थी, जो 2016 की दूसरी तिमाही की 122.1 टन मांग की तुलना में 37 फीसदी अधिक है।
भारत में कुल आभूषण की मांग 2017 की दूसरी तिमाही में 126.7 टन थी, जो 2016 की दूसरी तिमाही की 89.8 टन मांग के मुकाबले 41 प्रतिशत अधिक है। आभूषणों की मांग का मूल्य 33,000 करोड़ रुपये था, जो 2016 की दूसरी तिमाही के 24,350 करोड़ रुपये से 36 प्रतिशत अधिक है।
डब्लूयूजीसी ने इस कैलेंडर वर्ष के लिए भारत की पीली धातु की मांग 650 टन से 750 टन के बीच रखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, मूल्य के मामले में सोने का आयात बिल, 2016 में 23 अरब डॉलर (1.5 लाख करोड़ रुपये) था। भारत की सोने की मांग 2015 के मुकाबले 2016 में 857 टन से 21 प्रतिशत घटकर 676 टन पर आ गई थी।
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