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पानी बचाने वाली सिंचाई तकनीकों के बारे में किसानों को जागरूक करें कृषि वैज्ञानिक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को ड्रिप, स्प्रिंगलर और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के महत्व व जल संचय के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि वन संरक्षण और जैव विविधता का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है.

Bhasha
| Edited By :
29 Aug 2020, 03:43:35 PM (IST)

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को युवा कृषि वैज्ञानिकों से भारत में खाद्य तेलों, फल-सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करने, किसानों को पानी की बचत करने वाली सिंचाई की तकनीकों के प्रति जागरूक बनाने तथा जैव-विविधता जैसे मुद्रों पर ध्यान देने की अपील की. मोदी उत्तर प्रदेश में झांसी में स्थापित रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह में कृषि विज्ञान के छात्र-छात्राओं से बात कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने युवा कृषि वैज्ञानिकों से यह विचार करने को कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक के खाद्य तेलों का आयात क्यों करना पड़ रहा है.

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जल संचय के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता
उन्होंने किसानों को ड्रिप, स्प्रिंगलर और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के महत्व व जल संचय के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने खेत को जल से लबालब भर कर सिंचाई करने की आदत को छोड़ने की जरूरत पर बल देते हुए उदाहरण दिया कि ‘बच्चा दूध से नहलाने से नहीं, चम्मच से थोड़ा-थोड़ा दूध पिलाने से मजबूत होता है. मोदी ने कच्छ के ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों के प्रयास का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे फल देश में भी पैदा किए जा सकते हैं जो अभी केवल विदेश से आयात किए जाते हैं. मोदी ने बताया कि उन्होंने खुद इस फल का स्वाद लिया है और यह आयातित फल से कम स्वादिष्ट नहीं है.

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उन्होंने कहा कि वन संरक्षण और जैव विविधता का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिह तोमर भी मौजूद थे. इससे पहले मोदी ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा था कि वह शनिवार को रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के कॉलेज और प्रशासनिक भवनों का उद्घाटन करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार होगा और कृषि के साथ-साथ किसान कल्याण में अत्याधुनिक शोध में सहयोग होगा. विश्वविद्यालय ने 2014-15 में अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया और यहां कृषि, बागवानी और वानिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है.