जानिए क्यों बढ़ रहा है बांग्लादेश से चावल के चोकर के तेल का आयात
खाद्य तेल उद्योग संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में बांग्लादेश से ब्रैन राइस ऑयल का आयात करीब 1.5 लाख टन हो सकता है, जो कि पिछले साल के मुकाबले दोगुना होगा.
नई दिल्ली:
Edible Oil Latest News: भारत दुनिया के प्रमुख चावल उत्पादक देशों में शुमार है, लेकिन देश में बांग्लादेश से चावल के चोकर के तेल (Rice Bran Oil) का आयात होता है. दरअसल, बांग्लादेश चावल के चोकर के तेल का उत्पादन मुख्य रूप से भारत के लिए ही करता है क्योंकि वहां सरसों तेल की खपत ज्यादा है. खाद्य तेल उद्योग की मानें तो चालू वित्त वर्ष में बांग्लादेश से ब्रैन राइस ऑयल का आयात पिछले साल से दोगुना हो सकता है. खाद्य तेल उद्योग संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में बांग्लादेश से ब्रैन राइस ऑयल का आयात करीब 1.5 लाख टन हो सकता है, जो कि पिछले साल के मुकाबले दोगुना होगा.
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अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक 60,000 टन ब्रैन राइस ऑयल बांग्लादेश से आया
उद्योग संगठन के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक 60,000 टन ब्रैन राइस ऑयल बांग्लादेश से आ चुका है. बांग्लादेश से ब्रैन राइस ऑयल का आयात बढ़ने की मुख्य वजह यह है कि बांग्लादेश साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (साफ्टा) में आता है, इसलिए आयात पर कोई शुल्क नहीं लगता है. हालांकि साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी मेहता की मानें तो खाद्य तेलों में मिलावट एक बड़ी वहज है. उन्होंने कहा कि देश में महंगे खाद्य तेल के साथ सस्ते खाद्य तेल की मिलावट की वजह से देश में सस्ते तेल का आयात ज्यादा होता है. डॉ. मेहता ने कहा कि पहले सरसों तेल में ब्रैन राइस ऑयल की ब्लेंडिंग होती थी लेकिन ब्लेडिंग पर अब रोक लगा दी गई है.
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खाद्य तेल में मिलावट पर लगाम कसना जरूरी: डॉ. बी.वी मेहता
कारोबारियों का कहना है कि ब्लेंडिंग पर तो रोक लग गई है, लेकिन मिलावट अभी तक नहीं रूक पाई है जबकि मिलावट की इजाजत पहले भी नहीं थी. डॉ. मेहता ने कहा कि दरअसल खाद्य तेल में मिलावट पर लगाम कसना जरूरी है. सेंट्रल ऑगेर्नाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अग्रवाल का भी कहना है कि खाद्य तेल की मिलावट पर लगाम लगनी चाहिए. अग्रवाल बताते हैं कि ब्रैन राइस ऑयल की ब्लेंडिंग ज्यादातर सरसों तेल में होती थी, मगर इस पर रोक लगने से ब्रैन राइस ऑयल की खपत घटी है.
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उन्होंने बताया कि ब्रैन ऑयल राइस का भाव इस समय 60 से 90 रुपये प्रति किलो है जबकि पामोलीन का भाव 100 रुपये किलो को पार कर गया है। वहीं, सरसों तेल 125 रुपये प्रति किलो है. अग्रवाल ने बताया कि भारत खुद चावल का बड़ा उत्पादक है और यहां भी ब्रैन राइस ऑयल का काफी उत्पादन होता है. ब्रैन राइस ऑयल का उपयोग खाने के तेल के साथ-साथ कॉस्मेटिक्स, शू क्रीम, पॉलिशिंग कंपाउंड व अन्य उत्पादों में भी होता है.