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Budget 2023 : चीन में Corona भले भारत में लहर न लाए, इकोनॉमी पर कहर जरूर बरसाएगा, सरकार बजट में उठाएगी ये कदम!

Union Budget 2023 : कोरोना वायरस के केसों में कमी आने पर कई देशों को ऐसे लग रहा था कि अब लोगों को इस महामारी से निजात मिल गई है.

News Nation Bureau
| Edited By :
29 Dec 2022, 05:31:25 PM (IST)

नई दिल्ली:

Union Budget 2023 : कोरोना वायरस के केसों में कमी आने पर कई देशों को ऐसे लग रहा था कि अब लोगों को इस महामारी से निजात मिल गई है. कई देशों ने तो अपने यहां कोविड से जुड़े प्रतिबंधों में राहत दी थी, लेकिन एक बार फिर कोरोना का ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट BF.1 ने दस्तक दे दी है. हाल ही के दिनों में कोरोना के नए वैरिएंट ने जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, फ्रांस और खासकर चीन जैसे देशों में हाहाकार मचा रखा है, जिससे दुनिया की चिंता बढ़ गई है. इसे लेकर कई देशों में फिर से कोरोना से जुड़े प्रतिबंध लागू हो सकते हैं. अब बड़ा सवाल यह है कि कोरोना के रोकथाम को लेकर मोदी सरकार बजट में क्या कदम उठा सकती है?

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चीन में बढ़ते केसों से भारत की चिंता क्यों बढ़ी? 

भारत का चीन पड़ोसी देश है. चीन में कोरोना के बढ़ते केसों की वजह से भारत की चिंता बढ़ गई है. अगर चीन ने अपने यहां कोरोना पर काबू नहीं पाया तो सप्लाई चैन में बड़ी बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे कई देशों की ग्रोथ पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा. इसकी वजह से कई देशों को मंदी के दौर से भी गुजरना पड़ सकता है. हालांकि, पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था सुस्त है.

इन बातों को ध्यान में रखकर केंद्र की मोदी सरकार आने वाले बजट में बड़ी घोषणा कर सकती है. बजट 2023 में केंद्र सरकार नए क्षेत्रों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव यानी PLI स्कीम की घोषणा कर सकती है. साथ ही एक जिला, एक प्रोडक्ट योजना को भी बढ़ावा दे सकती है. भारत में एक्सपोर्ट हब बनाना और नए रोजगार पैदा इसका मकसद होगा. 

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स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बढ़ सकता है बजट

बजट 2023 में केंद्र सरकार भूमि अधिग्रहण से जुड़ी बाधाओं को भी हटा सकती है. साथ ही सरकार बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और न्यायिक सुधारों में बड़े कदम उठा सकती है. केंद्र सरकार ने पहले ही वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य पर GDP का 2.5 प्रतिशत खर्च करना लक्ष्य रखा है, लेकिन इस बार इस सेक्टर का बजट बढ़ सकता है. स्वास्थ्य संकट होने के बाद से भारत में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनेजमेंट काफी बेहतर हो गए हैं. घरेलू सप्लाई चैन पर भी दबाव कम हो गया है.