पाकिस्तान: सियासी संकट में PM शाहबाज शरीफ, संसद भंग कर चुनाव की तैयारी
पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ आगामी चुनाव में खुद को और अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को बचाने के लिए सरकार में शामिल गठबंधन के प्रमुख नेताओं से अलग-अलग मुलाकात कर रहे हैं.
highlights
- पिछले महीने प्रधानमंत्री बने शाहबाज शरीफ संसद भंग कर सकते हैं
- आर्थिक संकट में जकड़े पाकिस्तान के सामने आया बड़ा सियासी संकट
- चीन, सऊदी अरब, UAE, अमेरिका भी आर्थिक मदद के लिए नहीं आए
New Delhi:
पाकिस्तान ( Pakistan ) में प्रधानमंत्री बनने के एक महीने के भीतर शाहबाज शरीफ ( Shahbaj Sharif) की सरकार सियासी संकट में उलझ गई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से फंड ना मिलने से बढ़े आर्थिक संकट में फंसे शरीफ सरकार के सामने दो ही विकल्प हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक उन्हें पेट्रोलियम की कीमतें बढ़ानी ( Petrolium Price Hike ) पड़ेगी. नहीं तो संसद को भंग कर चुनाव की तैयारी में जुट जाना पड़ेगा. पीएम शाहबाज शरीफ इस मामले में जल्द ही पाकिस्तान की जनता को संबोधित भी करने वाले हैं.
पाकिस्तान में एक बार फिर बड़े सियासी उलटफेर का अंदेशा इसलिए काफी अधिक है कि पेट्रोलियम कीमतों को बढ़ाने के साहसिक फैसले उम्मीद दूर-दूर तक नहीं दिखती. इसलिए दूसरे विकल्प के तौर पर पिछले महीने ही प्रधानमंत्री बने शाहबाज शरीफ संसद को भंग करने का फैसला ले सकते हैं. ऐसा हुआ तो आर्थिक संकट में जकड़े पाकिस्तान के सामने बड़ा सियासी संकट भी खड़ा हो जाएगा. इसलिए पीएम शरीफ चुनाव में खुद को और अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को बचाने के लिए सरकार में शामिल गठबंधन के प्रमुख नेताओं से अलग-अलग मुलाकात कर रहे हैं.
आर्थिक अस्थिरता के मुद्दे पर जाएगी सरकार
मौजूदा वक्त में शाहबाज शरीफ की सबसे बड़ी कोशिश जल्द ही किसी एक निर्णायक फैसले तक पहुंचने की है. इस सिलसिले में उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी प्रमुख आसिफ अली जरदारी, जमात उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संयोजक खालिद मकबूल सिद्दीकी से इस्लामाबाद में अलग-अलग मुलाकात और बातचीत की. महंगाई और आर्थिक अस्थिरता के मुद्दे पर हुई बैठक में बढ़ते राजनीतिक दबाव का असर PM शाहबाज मंत्रिमंडल के जल्द भंग किए जाने के रूप में दिख सकता है.
चीन, सऊदी अरब, UAE, अमेरिका से मदद नहीं
शाहबाज की तमाम कोशिशों के बावजूद चीन, सऊदी अरब, UAE, अमेरिका जैसे देश भी उनकी आर्थिक मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. नए मंत्रिमंडल को अधिकतम 16 महीने तक शासन के बाद चुनाव मैदान में उतरना था. सियासी वजहों से वह 40 दिनों में ही चुनाव को अंतिम विकल्प मान रही है. पेट्रोलियम की कीमतें बढ़ाने से जनता में फैले आक्रोश का नुकसान सत्तारूढ़ गठबंधन को होना भी तय है.
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गठबंधन सरकार में गहरे मतभेद- सेना भी दूर
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के मुताबिक किसी भी फैसले के लिए पीएम शाहबाज शरीफ मुल्क को संबोधित करेंगे और आम अवाम को भरोसे में लेंगे. शाहबाज सरकार ने अब लग्जरी सामान के आयात पर रोक लगा दी है. वहीं राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इमरान को हटाने के लिए बने गठबंधन के प्रमुख सहयोगियों के बीच इस समय गहरा मतभेद है. अब तक पाकिस्तानी सेना ने भी सरकार को ऐसा कोई समर्थन नहीं दिया है. दूसरी ओर जुलाई तक नए सिरे से चुनाव का संकेत जरूर आ चुका है.
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