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भारत के बंटवारे का दर्द नहीं मिटेगा, विभाजन खत्म करना ही समाधानः भागवत

इतिहास सभी को जानना चाहिए. पहले हुईं गलतियों से दुखी होने की नहीं अपितु सबक लेने की आवश्यकता है.

Updated on: 26 Nov 2021, 08:06 AM

highlights

  • पहले हुईं गलतियों से दुखी होने की नहीं अपितु सबक लेने की आवश्यकता है
  • भारत का विभाजन किसी तरह का राजनीतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि अस्तित्व का प्रश्न
  • विभाजन से न तो भारत सुखी और न जिन्होंने इस्लाम के नाम पर विभाजन किया

नोएडा:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने एक बार फिर देश के विभाजन पर बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन एक ऐसी घटना है, जिसका दर्द कभी नहीं मिट सकता. उन्होंने कहा कि इस दर्द से मुक्ति मिल सकती है, अगर ये विभाजन (Partition) निरस्त कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि इस विभाजन से सबसे ज्यादा नुकसान मानवता का हुआ है. मातृभूमि का विभाजन न मिटने वाली वेदना है. उन्होंने यह बात भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहीं.

पहले की गलतियों से सबक लेने की जरूरत
डॉ. भागवत यहां कृष्णानन्द सागर की पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का विमोचन करने आए थे. उन्होंने कहा कि इतिहास सभी को जानना चाहिए. पहले हुईं गलतियों से दुखी होने की नहीं अपितु सबक लेने की आवश्यकता है. गलतियों को छिपाने से उनसे मुक्ति नहीं मिलेगी. विभाजन का उपाय, उपाय नहीं था. विभाजन से न तो भारत सुखी है और न वे सुखी हैं जिन्होंने इस्लाम के नाम पर विभाजन किया. उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन किसी तरह का राजनीतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि अस्तित्व का प्रश्न है. उस समय इस विभाजन को इसलिए स्वीकार करना पड़ा था ताकि देश में किसी का खून न बहे लेकिन यह दुर्भाग्य है कि इसके उल्टा हुआ और तब से अब तक न जाने कितना खून बह चुका है.

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गुरु नानक देवजी को किया याद
उन्होंने कहा कि इसे तब से समझना होगा जब भारत पर इस्लाम का आक्रमण हुआ और गुरु नानक देवजी ने सावधान करते हुए कहा था कि यह आक्रमण देश और समाज पर हैं किसी एक पूजा पद्धति पर नहीं. उन्होंने कहा कि इस्लाम की ही तरह निराकार की पूजा भी प्राचीन भारत में भी होती थी किंतु उसको भी नहीं छोड़ा गया क्योंकि इसका पूजा से संबंध नहीं था अपितु प्रवत्ति से था और प्रवत्ति यह थी कि हम ही सही हैं, बाकी सब गलत हैं और जिनको रहना है उन्हें हमारे जैसा होना पड़ेगा या वे हमारी दया पर ही जीवित रहेंगे. इस प्रवत्ति का लगातार आक्रमण चला और हर बार मुंह की खानी पड़ी.