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"योग्यता का मापदंड हो सरकारी वकीलों की नियुक्तियों का आधार"

इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया है कि सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में शासकीय अधिवक्ता व मुख्य स्थाई अधिवक्ता एवं उससे ऊपर के समस्त पदों पर नियुक्तियों का आधार योग्यता एवं अनुभव होना चाहिए.

Updated on: 20 May 2022, 10:45 PM

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया है कि सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में शासकीय अधिवक्ता व मुख्य स्थाई अधिवक्ता एवं उससे ऊपर के समस्त पदों पर नियुक्तियों का आधार योग्यता एवं अनुभव होना चाहिए. न कि पार्टी या संगठन में सक्रियता. इस काम में पार्टी से जुड़े सारे सामाजिक, राजनीतिक संगठनों को सरकार के साथ कदम से कदम मिलाते हुए इन सभी नियुक्तियों पर अपने कार्यकर्ताओं का समायोजन योग्यता के अनुरूप ही करवाना चाहिए. नियुक्तियों में समरसता को आधार जरूर बनाएं परंतु समरसता में भी समाज के योग्य से योग्यतम व्यक्ति का नाम ही नियुक्ति हेतु आगे बढ़ाएं, ताकि सरकार की छवि  पर विपरीत असर न पड़ने पाते.

न्यायालय के समक्ष सरकार का सही पक्ष रख पाने में अक्षम व्यक्तियों की लंबी फौज को रखने के बजाय केस तय करने में कोर्ट को सहयोग करने वाले छोटी व ठोस टीम रखी जानी चाहिए. अधिवक्ता अखिलेश कुमार शुक्ल ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि न्यायालय के अलावा भी कार्यकर्ताओं के समायोजन के अन्य फोरम हैं जहां उन्हें समायोजित किया जा सकता है. सभी संगठनों में सक्षम अनुभवी एवं योग्य व्यक्ति मौजूद हैं, उन्हें चिन्हित करके आगे लाने का दायित्व निभाना चाहिए. महाधिवक्ता पर प्रदेश के उच्च न्यायालय एवं शीर्ष न्यायालय तक की जिम्मेदारी रहती है अतः उन्हें एक अच्छी टीम की आवश्यकता होती है.

शासकीय अधिवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पदों पर योग्यता में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति एवं पूर्व में जिसका न्यायालय में परफारमेंस अच्छा हो तथा जिस पर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार का कोई आरोप ना हो, उसी की नियुक्ति की जाए. इसी प्रकार से सिविल साइड में अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता जोकि प्रत्येक कोर्ट का इंचार्ज होता है एवं मुख्य स्थाई अधिवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां करते समय यह ध्यान रखा जाए कि पूर्व में उसका परफारमेंस क्या रहा है. परफारमेंस रिपोर्ट मंगाकर ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए. 

पिछले कार्यकाल में शीर्ष पदों पर बैठे कुछ व्यक्तियों के विरुद्ध न्यायालय द्वारा टिप्पणी की गई और इससे सरकार एवं संगठन की छवि समाज में खराब हुई. मुख्यमंत्री से अनुरोध करने वाले अधिवक्ताओं में मोतीलाल,विजय सिंह, अखिलेश कुमार शुक्ल, प्रभात श्रीवास्तव, विनीत यादव शामिल हैं.