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ओवैसी ने कहा, बीजेपी-कांग्रेस को छोड़कर किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन को तैयार

भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के अगुवाई में बने भागीदारी संकल्प मोर्चा 2022 के चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही दरार पड़ती दिख रही है.

Updated on: 17 Oct 2021, 09:58 PM

highlights

  •  ओमप्रकाश राजभर के अगुवाई में बना था भागीदारी संकल्प मोर्चा
  •  ओमप्रकाश राजभर ने  प्रेस कॉफ्रेंस करके बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के संकेत दिए हैं
  • असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भागीदारी मोर्चा से अलग होने की दी धमकी

लखनऊ:

भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की चिंता बढ़ा दी है. ओम प्रकाश राजभर के भाजपा की तरफ जाने के संकेत के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में छोटे-छोटे दल मिलकर बड़ी सियासी ताकत बनने से पहले ही ताश के पत्तों की तरह बिखरते नजर आ रहे हैं. एमआईएम के प्रवक्ता असीम वकार ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी बीजेपी के साथ नही जा सकती फिर चाहे उसके लिए उसे खुद को भागीदारी मोर्चे से अलग ही क्यों न करना पड़े?

ओमप्रकाश राजभर के भाजपा के साथ गठबंधन करने के संकेत के बाद ओवैसी ने ट्वीट कर कहा "हम ओपी राजभर के भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा हैं. हमने शिवपाल यादव के साथ उनके आवास पर दो बैठकें भी की थीं. हमने ओपी राजभर और शिवपाल यादव दोनों से कहा है कि हम बीजेपी-कांग्रेस को छोड़कर किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं.

भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के अगुवाई में बने भागीदारी संकल्प मोर्चा 2022 के चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही दरार पड़ती दिख रही है. बीजेपी के साथ राजभर के जाने के आसार के साथ ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भागीदारी मोर्चा से अलग होने की धमकी दे दी है.

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ओमप्रकाश राजभर ने  प्रेस कॉफ्रेंस करके बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के संकेत दिए हैं. राजभर ने कहा है कि बीजेपी अगर उनकी शर्तों को मान लेती है, तो फिर से गठबंधन कर सकते हैं. इतना ही नहीं ओमप्रकाश राजभर ने भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल दलों के साथ लखनऊ में बैठक भी की है. इस दौरान बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए राजभर ने अपनी डिमांड रखी है और 27 अक्टूबर की रैली में यह तस्वीर साफ करेंगे कि वो किसके साथ मिलकर 2022 का चुनाव लड़ेंगे.

लेकिन अब राजभर भाजपा की तरह जाने का संकेत दे रहे हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ओवैसी का भागीदारी संकल्प मोर्चा बनने के पहले ही बिखरने के कगार पर है.