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Dussehra:अमरपल्ली दुर्गा पूजा में सिंदूर खेला होबे, हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं ने एक साथ की पूजा

दशहरे का दिन है यानि बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन. इसी क्रम में कई स्थानों पर पर बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला का अखंड पाठ कर माता से वरदान मांगा है.

Updated on: 15 Oct 2021, 07:21 PM

highlights

  • कोविड प्रोटोकॅाल को ध्यान में रखते हुए सिंदूर खेला किया गया 
  • मुस्लिम महिलाओं ने भी इस खूबसूरत अनुष्ठान में लिया भाग 
  • दशहरा के दिन की गई दुर्गा पूजा सिंदूर खेला किया गया 

नई दिल्ली :

दशहरे का दिन है यानि बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन. इसी क्रम में कई स्थानों पर पर बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला का अखंड पाठ कर माता से वरदान मांगा है. इस अवसर पर सोलह श्रंगारों से सजी-धजी बंगाली समाज की महिलाओं एक-दूसरे को सुहाग का प्रतीक सिंदूर लगाकर इस रस्‍म को पूरा किया. आपको बता दें कि सिंदूर खेला का आयोजन ज्यादातर वेस्ट बंगाल व पटना में किया जाता है. इस दिन महिला सुबह से ही दुर्गा पूजा की तैयारियों में लग जाती है. साथ ही पूरी तैयारी के बाद किसी एक स्थान पर एकत्र होकर सिंदूर खेला किया जाता है. जिसमें महिलाओं का नृत्य गान भी किया जाता है..

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सिंदूर खेला
विधि विधान से पूजा विशेष पूजन के बाद माता का भव्य शृंगार किया जाता है. लाल पाड़ की साड़ी, हाथों में पूजा की थाली और चेहरे पर सिंदूर का लेप के साथ हर जुबां पर मां दुर्गा की महिमा को बखान होता है. बंगाली समाज की महिलाएं इस दिन मां को सिंदूर अर्पित कर सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं.. इसके बाद सिंदूर खेला का उल्लास होता है. जिसमें  परंपरागत ढाक की थाप पर माहौल को भक्तिमय बनाया जाता है, इस दौरान महिलाएंएक दूसरे को सिंदूर लगाकर पर्व की खुशियां मनाती हैं. साथ ही ग्रुप में डांस भी करती हैं..

इसके बाद सिंदूर से सराबोर महिलाएं मां के साथ तस्वीर भी खिंचाती हैं.. आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की परंपरा सिंदूर खेला धूमधाम से मनाया जाता है.. मां को विदाई की बेला आई मां से बिछड़ने का दर्द सिंदूर खेला के उल्लास में चमकते चेहरों पर झलकने लगता है.. साथ ही मां की विदाई के दौरान बंगाली समाज की महिलाओं की आंखों में आंसू भी छलकते हैं. इसके बाद सभी महिलाएं एकत्र होकर मूर्ति विसर्जन का कार्य करती हैं..