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जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर की अगले साल से बिक्री बंद, जानें वजह

एस्बेस्ट्स के संपर्क में आने पर टॉल्क कैंसर का जनक बन सकता है. एस्बेस्ट्स का इस्तेमाल निर्माण कार्यों और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में होता है. इसकी वजह से फेफड़ों का कैंसर, अंडाशय का कैंसर, मेसोथेलियोमा और अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती हैं.

Updated on: 15 Aug 2022, 03:26 PM

highlights

  • 2023 से जॉनसन एंड जॉनसन वैश्विक स्तर पर बेबी पाउडर की  बिक्री बंद कर रही
  • दसियों हजार महिलाओं ने मुकदमा कर रखा है कि कंपनी के टॉल्क से कैंसर होता है
  • जे एंड जे के खिलाफ फिलेडेल्फिया की अपील कोर्ट 19 सितंबर को करेगी सुनवाई

नई दिल्ली:

फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने बीते गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा कि वह 2023 से वैश्विक स्तर पर अपने बेबी पाउडर की बिक्री बंद कर रही है. गौरतलब है कि कंपनी पर दसियों हजार मुकदमें महिलाओं की ओर से दर्ज कराए गए हैं. इन मुकदमों में दावा किया गया है कि इस पाउडर के इस्तेमाल से महिलाओं को अंडाशय का कैंसर (Cancer) हो रहा है. इसकी वजह महिलाओं ने कथित तौर पर पाउडर में एस्बेस्टस का सम्मिश्रण बताया है, जो कि कैंसर देने वाला तत्व है. अमेरिका (America) और कनाडा (Canada) में जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने बेबी पाउडर की बिक्री दो साल से ज्यादा समय पहले बंद कर दी थी. अब कंपनी ने वैश्विक स्तर पर इसकी बिक्री बंद करने की घोषणा के साथ कहा कि वह आगे से अपने बेबी पाउडर में कॉर्नस्टार्च का इस्तेमाल करेगी. गौरतलब है कि कैंसरजनित तत्व के बेबी पाउडर में इस्तेमाल के कथित आरोपों के बीच जॉनसन एंड जॉनसन  (Johnson And Johnson) सालों साल से अपने उत्पाद को सुरक्षित करार देती आई है. इस पर वह अब भी टिकी हुई है. उसने हालिया बयान में कहा कि कॉस्मेटिक टॉल्क (Talc) के पूरी तरह से सुरक्षित होने के अपने पक्ष पर वह अभी भी कायम है. मेडिकल एक्सपर्ट्स के सालों के शोध और अध्ययन के बाद जे एंड जे ने फिर दोहराया कि जॉनसन का बेबी पाउडर (Baby Powder) पूरी तरह से सुरक्षित है, जिसमें एस्बेस्ट्स नहीं होता है और कैंसर भी नहीं फैलता है. 

क्या होता है टॉल्क
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक टॉल्क अब तक पाए गए खनिजों में सबसे मुलायम  है, जिसे जमीन के अंदर से खनन प्रक्रिया के जरिये निकालते हैं. रासायनिक तौर पर इसे हाइड्रस मैग्नीशियम सिलिकेट कहते हैं. इसका इस्तेमाल तमाम तरह के सौंदर्य उत्पादों और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स को बनाने में किया जाता है. मसलन बेबी पाउडर, लिपस्टिक, आई शैडो और फॉउंडेशन. एस्बेस्ट्स बेहद बारीक पाउडर के रूप में नमी सोखने, घर्षण में कमी लाने, चकत्ते, मेकअप को पपड़ीदार होने से बचाता है. इसके साथ ही सामान्यतः सौंदर्य उत्पाद की बनावट और उसके एहसास में भी सुधार लाता है.

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क्या इससे कैंसर होता है?
एफडीए के मुताबिक एस्बेस्ट्स के संपर्क में आने पर टॉल्क कैंसर का जनक बन सकता है. एस्बेस्ट्स का इस्तेमाल निर्माण कार्यों और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में होता है. इसकी वजह से फेफड़ों का कैंसर, अंडाशय का कैंसर, मेसोथेलियोमा और अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती हैं. अमेरिका की कैंसर सोसायटी के मुताबिक यह मान लिया गया है कि एस्बेस्ट्स के संपर्क में टॉल्क के आने पर किसी को कैंसर हो सकता है. हालांकि अभी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है एस्बेस्ट्स रहित टॉल्क किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है. 1960 के दशक से डॉक्टर सलाह देते आए हैं कि जननांगों के आसपास या सैनेटिरी नैपकिंस में इसके इस्तेमाल से टैल्कम पाउडर से अंडाशय का कैंसर हो सकता है. हालांकि एफडीए का दावा है कि इस बारे में हुए तमाम अध्ययन निर्णायक रूप से इस तरह का कोई लिंक प्रदर्शित नहीं कर सके हैं या अगर ऐसा कोई खतरा है, तो खतरे की क्या संभावना रहेगी.  हालांकि यह भी इतना ही सच है कि दशकों से बच्चों के डॉक्टर अभिभावकों को सलाह देते आए हैं कि बच्चों पर टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल नहीं करें. भले ही बेबी टैल्कम पाउडर एस्बेस्ट्स रहित ही क्यों न हों. डॉक्टरों का कहना है कि अगर बच्चे की श्वसन प्रक्रिया के जरिये टॉल्क नाक के अंदर चला जाए, तो वह उसे अवरुद्ध यानी चोक कर सकता है. इसके साथ ही टॉल्क संक्रमण और श्वसन संबंधी बीमारी भी दे सकता है. 

जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ मुकदमें
1894 में कंपनी ने बेबी पाउडर की बिक्री शुरू की थी. डायपर से बच्चों की कोमल त्वचा पर आने वाली खरोंच से बचाव और इसकी पहचान बन चुकी खुश्बू ने इसे जल्द दुनिया भर में लोकप्रिय बना दिया. हालांकि लगभग सौ साल बाद यानी 1990 के दशक से बेबी पाउडर में एस्बेस्ट्स संदूषण की शिकायतों को लेकर अनगिनत मुकदमें दर्ज हुए. यह अलग बात है कि इन आरोपों से कंपनी हमेशा इंकार करती आई. इस कड़ी में डार्लीन कोकर संभवतः पहली महिला थीं, जिन्होंने दावा किया कि उनके और उनके बच्चे को जहरीले टॉल्क के इस्तेमाल से मेसोथेलियोमा हो गया. मेसोथेलियोमा एक तरह का कैंसर है, जो शरीर के विभिन्न अंगों के ऊतकों पर असर डालता है. रॉयटर की 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान जे एंड जे ने टॉल्क के टेस्ट रिजल्ट्स और कंपनी के आंतरिक रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने से परहेज किया था. इसके साथ ही कोकर पर दबाव बनाया कि वह अपना मुकदमा वापस ले लें. इसके बाद दसियों हजार मुकदमे कंपनी पर हुए. इन सभी में आरोप लगाया गया था कि कंपनी के टैल्कम पाउडर में कैंसर देने वाला एस्बेस्ट्स मिला हुआ है, जो उसे संदूषित बनाता है. सिर्फ अमेरिका में ही जे एंड जे पर 40,300 मुकदमें दर्ज हुए. यही नहीं, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने अब तक सेटलमेंट के रूप में 3.5 बिलियन डॉलर विभिन्न महिलाओं को चुकाए भी हैं. मिसूरी की एक ज्यूरी ने 2018 में जे एंड जे को 22 महिलाओं को 4.7 बिलियन डॉलर की रकम अदा करने को कहा था. ज्यूरी ने यह फैसला जे एंड जे के टॉल्क उत्पादों में एस्बेस्ट्स और उसकी वजह से अंडाशय का कैंसर होने के बाद सुनाया था. हालांकि इसके खिलाफ जे एंड जे की अपील पर अदालत ने दो महिलाओं को मुआवजे से इंकार कर सेटलमेंट की राशि 2 बिलियन डॉलर कर दी थी. इसके बाद जे एंड जे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां भी निचली अदालतों का फैसला पलटा नहीं गया. द न्यूयॉर्क टाइम्स और रॉयटर्स ने 2018 में बकायदा खोजी पत्रकारिता के जरिये खुलासा किया कि जे एंड जे 1970 के दशक से जानती थी कि उसके टॉल्क उत्पाद एस्बेस्ट्स की बहुत थोड़ी मात्रा के संपर्क में आने से भी कभी-कभार दूषित हो जाते हैं. इसके बावजूद अपने बेबी पाउडर को पूरी तरह से सुरक्षित बता कर जे एंड जे ने ऐसे दावों को सिरे से खारिज कर दिया. 

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जॉनसन एंड जॉनसन ने क्या कदम उठाए?
अपने पक्ष पर टिके रह कंपनी पर लगते आरोपों को लगातार खारिज करते रहने के बाद अक्टूबर 2019 में जे एंड जे ने बेबी पाउडर की 33 हजार बोतलों को बाजार में वापस मंगाया था. इसकी वजह बना था बेबी पाउडर की एक बोतल में एफडीए की जांच में एस्बेस्ट्स की कुछ मात्रा मिलना. अक्टूबर के ही आखिरी दिनों में जे एंड जे ने कुछ लैब से उसी बोतल के 15 टेस्ट कराए और फिर दावा किया परीक्षण परिणामों में बोतल में एस्बेस्ट्स की जरा भी मात्रा नहीं पाई गई. मई 2020 में जे एंड जे ने घोषणा की कंपनी टॉल्क बेस बेबी पाउडर की अमेरिका और कनाडा में बिक्री बंद कर रही है. उस वक्त भी जे एंड जे का कहना था कि उसके उत्पाद से जुड़ी भ्रामक बातों और उस आधार पर दर्ज कराए गए मुकदमों से उपभोक्ताओं की आदतें बदल गई हैं. दशकों के अध्ययन और शोधों में भी बेबी पाउडर को सुरक्षित करार दिया गया है. इसके बाद कंपनी ने मुकदमों और अपेक्षित मुआवजे की आशंका से खुद को दिवालिया होने की रणनीति बनाई, जिसे टेक्सास टू-स्टेप के रूप में जाना जाता है. इसके तहत बीते अक्टूबर में जे एंड जे ने टेक्सास में एलटीएल मैनेजमेंट एलएलसी के नाम से एक सहायक कंपनी खोली. फिर बेबी पाउडर से जुड़े सभी दावों को उस कंपनी पर मढ़ दिया. इस कड़ी में जे एंड जे की संपत्तियों को सहायक कंपनी से अलग रखा था. अगले कदम के तौर पर एलटीएल ने दिवालिया घोषित करने की अपील की. इसके बाद सभी मुकदमों पर कार्यवाही रोक दी गई. जे एंड जे के वकीलों ने इस विवादास्पद कदम के पक्ष में दलील दी कि इस तरह मामलों को प्रभावी और न्यायसंगत तरीके से जल्द निपटाया जा सकेगा. हालांकि जे एंड जे की इस दलील के विरोध में कैंसर मरीजों के वकीलों ने तर्क दिया कि मूल कंपनी ने सोची-समझी रणनीति के तहत मामलों को टालने और उपभोक्ताओं को परेशान करने के लिए ही सहायक कंपनी बना दिवालिया होने की अपील की गई है. अब 19 सितंबर को फिलेडेल्फिया की अदालत टॉल्क इस्तेमाल करने वालों का पक्ष सुनेगी. इनके वकीलों का तर्क है कि जे एंड जे कंपनी का दिवालिया घोषित करने का कदम महज धोखा देने के लिहाज से उठाया गया है.