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ISRO GSLV-F12 Launch: अंतरिक्ष में भारत की बड़ी सफलता, नेक्स्ट जेनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट किया लॉन्च, जानें क्या होगा फायदा

ISRO GSLV-F12 Launch: अंतरिक्ष में भारत की बड़ी सफलता, नेक्स्ट जेनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट किया लॉन्च, जानें क्या होगा फायदा

Updated on: 29 May 2023, 11:51 AM

highlights

  • ISRO ने अंतरिक्ष में लगाई ऊंची छलांग
  • लॉन्च किया नेविगेशन सैटेलाइट
  • मोबाइल पर मिलेगी बेहतर लोकेशन सर्विस

 

नई दिल्ली:

ISRO GSLV-F12 Launch: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत लगातार नए कीर्तिमान रच रहा है. इन कीर्तिमानों में एक और नया आयाम जुड़ गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने 29 मई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से एक और सफल उड़ान भरी है. ये उड़ान नए भारत और नए जमाने के मुताबिक फायदेमंद है. भारत ने नेविगेशन सैटेलाइट को 10 बजकर 42 मिनट पर लॉन्च किया है. इस सैटेलाइट को NVS-01 नाम दिया गया है. खास बात यह है कि इस सैटेलाइट को GSLV-F12 के माध्यम से लॉन्च पैड-2 पर छोड़ा गया है. ये सैटेलाइट नए भारत को परिलक्षित करता है और इसे सफल उड़ान से उन सभी भारतीयों को फायदा होगा जो मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं. 

भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की इस उड़ान को काफी हद तक इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य सशस्त्र बलों को और मजबूत करना है. इसके  साथ ही नौवहन सेवाओं की निगरानी रखने में भी ये सैटेलाइट काफी मददगार साबित होगा. ऐसे में इसरो की इस उड़ान पर दुनियाभर की नजरें टिकी हुई थीं. इस सफल उड़ान ने  ना सिर्फ भारतीयों बल्कि विश्व में अपनी विशेष जगह बनाई है. 

आम आदमी को होगा ये फायदा
इस सैटेलाइट यानी उपग्रह की लॉन्चिंग के साथ ही हर उस भारतीय को फायदा होगा जो मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है. खास तौर नई पीढ़ी के लिए तो ये सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा. क्योंकि इस सैटेलाइट के साथ ही इंटरनेट की स्पीड पहले और ज्यादा बेहतर होगी और इसके साथ ही आपकी मोबाइल की लोकेशन सर्विस को ज्यादा सटीक तरीके से ट्रेस करने में मदद मिलेगी. 

ये सैटेलाइट 1500 किलोमीटर की रेंज में मौजूदा स्थिति और टाइम से जुड़ी जानकारी को एकत्र करने में कारगर साबित होगा.

सैटेलाइट का खासियत
- ये सैटेलाइट 51.7 मीटर लंबा है
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से इस सैटेलाइट की 15वीं उड़ान है
- सैटेलाइट का वजन 232 kg है
- NVS-01 अपने साथ L-1,L-5 और S बैंड उपकरण लेकर रवाना हुआ
- इस सैटेलाइट में रुबिडियम परमाणु घड़ी भी लगी है. ऐसा ISRO की ओर से पहली बार किया गया है. 
- ये सैटेलाइट पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. 

सौलर पैनल से लेगा एनर्जी
इस सैटेलाइट का एनर्जी सोर्स सौलर पैनल रहेगा. सूर्य की रोशनी से लगातार ये सैटेलाइट काम करता रहेगा. इस उपग्रह में कुल दो सौलर पैनल लगाए गए हैं. जो इसे 2.4kw ऊर्जा देने में सक्षम हैं. 

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ऐसे सशस्त्र बल को करेगा मदद
- ये सैटेलाइट जमीन से लेकर हवा और समुद्र तक नेविगेशन में सटीक जानकारी मुहैया कराएगा.
- कृषि संबंधी जानकारियां हासिल करने में भी काफी मदद मिलेगी
-मौसम की भविष्यवाणी में भी काफी हद तक सटीक जानकारी देने में मदद करेगा
- आपातकालीन सेवाओं में भी इसकी मदद ली जा सकेगी. 

इसके साथ ही इस सैटेलाइट का काम फ्लीट मैनेजमेंट से लेकर मरीजन फिशरीज, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मोबाइल में लोकेशन ट्रेस करने के साथ-साथ वाणिज्यिक संस्थानों और पावर ग्रिड के क्षेत्र में मदद करना है.