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आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने कोविड से लड़ने में कारगर हिमालयी पौधे की पहचान की

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने कोविड से लड़ने में कारगर हिमालयी पौधे की पहचान की

Updated on: 17 Jan 2022, 04:00 PM

मंडी:

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने एक हिमालयी पौधे की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है जो कोविड संक्रमण के इलाज में कारगर साबित हो सकती हैं।

आईआईटी मंडी ने स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के बायोएक्स सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्याम कुमार मसाकापल्ली के हवाले से एक वक्तव्य में कहा, विभिन्न प्रकार के चिकित्सीय एजेंटों में से पौधों से प्राप्त रसायनों फाइटोकेमिकल्स को उनकी क्रियात्मक गतिविधि और कम विषाक्तता के कारण विशेष रूप से आशाजनक माना जाता है।

कोविड के खिलाफ नियमित टीकाकरण के अलावा, अन्य प्रकार की दवाओं की दुनिया भर में खोज जारी है जो मानव शरीर पर इस विषाणु के आक्रमण को रोक सकती हैं।

इस टीम ने हिमालयी बुरांश पौधे की पंखुड़ियों में इन रसायनों का पता लगया है । इस पौधे का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम है और विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए स्थानीय आबादी इसका अलग रूप से सेवन करती है।

आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस पौधे के रसायनों के अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण किया है।

शोधकर्ताओं ने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स निकालकर इसके एंटीवायरल गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक विश्लेष्ण और कम्प्यूटर मॉडल पर इनका अध्ययन किया।

आईसीजीईबी के वैज्ञानिक डॉ रंजन नंदा ने कहा, हमने इस पौधे की पंखुड़ियों के रसायनों की जांच की है और इसे कोविड वायरस के खिलाफ काफी हद तक कारगर पाया गया है।

इस टीम के शोध निष्कर्ष बायोमोलेक्युलर स्ट्रक्च र एंड डायनेमिक्स जर्नल में हाल ही में प्रकाशित किए गए हैं।

बुरांश की पंखुड़ियों को गर्म पानी में रखने पर निकले इसके अर्क में क्विनिक एसिड और अन्य उत्पाद भरपूर पाए गए। कोशिकीय अध्ययनों से पता चला है कि इन फाइटोकेमिकल्स के वायरस के खिलाफ दो तरह के प्रभाव होते हैं।

वे वायरल प्रतिकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मुख्य एंजाइम पोटिएज और मेजबान कोशिकाओं में वायरल प्रवेश की मध्यस्थता करने वाले मानव एंजियोटेंसिन-रूपातंरित एंजाइम -दो (एसीई )से बंध जाते हैं।

शोधकर्ताओं ने प्रयोगात्मक परीक्षणों के माध्यम से यह भी दिखाया कि पंखुड़ी का अर्क एक अफ्रीकी हरे बंदर के गुर्दे से प्राप्त कोशिकाओं वेरो ई6 कोशिकाओं में कोविड संक्रमण को रोक सकता हैं। इस अर्क का कोई प्रतिकूल प्रभाव कोशिकाओं पर नहीं पड़ता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस पौधे की पंखुड़ियों से प्राप्त नतीजों पर और अधिक वैज्ञानिक अध्ययन की तत्काल आवश्यकता हैं।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.