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Janmashtami 2022 Tithi aur Shubh Muhurt: सबके घर लीला रचाने आ रहे हैं नटखट लड्डू गोपाल, जानें जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और तिथि

Janmashtami 2022 Tithi aur Shubh Muhurt: जहां एक तरफ पूरी दुनिया में अलग अलग तौर तरीकों से जन्माष्टमी की धूम देखने को मिलती है. वहीं, समस्त ब्रज धाम जन्माष्टमी की अनुपम छटा से सराबोर दिखाई पड़ता है.

Updated on: 15 Aug 2022, 11:46 AM

नई दिल्ली :

Janmashtami 2022 Tithi aur Shubh Muhurt: लड्डू गोपाल की लीलाएं और उनका मनोरम स्वरूप सबका मन मोह लेता है. इसी कारण से भक्त पूरे साल इंतजार करते हैं कि कब जन्माष्टमी आए और कब वो अपने लल्ला को लाड़ लड़ाएं, उनपर प्यार लुटाएं, उन्हें झूला झुलाएं और उनका शृंगार करें. भाद्रपद माह शुरू हो चुका है. भादों महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जन्माष्टमी बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है. जहां एक तरफ पूरी दुनिया में अलग अलग तौर तरीकों से जन्माष्टमी की धूम देखने को मिलती है. वहीं, समस्त ब्रज धाम जन्माष्टमी की अनुपम छटा से सराबोर दिखाई पड़ता है. इस बार जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त दोनों दिन पड़ रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन सी तिथि पर जन्माष्टमी का व्रत रखना उचित रहेगा और साथ ही इस पर्व के शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानेंगे.

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जन्माष्टमी 2022 शास्त्र मत (Janmashtami 2022 Shastra Mat)
इस साल की जन्माष्टमी की बेहद चौंका देने वाली बात ये है कि इस बार कृष्ण जन्मोत्सव पर रोहिणी नक्षत्र नहीं होगा. ऐसे में अधिकांश शास्त्रकारों ने अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी में ही व्रत पूजन एवं उत्सव मनाने को सही माना है. इतना ही नहीं श्रीमद्भागवत, श्री विष्णु पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण जैसे धर्म ग्रंथों के अनुसार भी अर्धरात्रि अष्टमी में ही जन्माष्टमी मनाने के बारे में वर्णित है. 

जन्माष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2022 Shubh Muhurt)
जन्माष्टमी भाद्रपद की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है. इस वर्ष यह तिथि 18 अगस्त के दिन पड़ रही है. अष्टमी का सही समय 18 अगस्त, दिन गुरुवार को रात 9 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रहा है. वहीं, इसका समापन 19 अगस्त, दिन शुक्रवार को रात 10 बजकर 50 मिनट पर होगा. ऐसे में दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जा सकती है. 

लेकिन ज्योतिष के अनुसार, 18 को जन्माष्टमी मनाने के साथ साथ व्रत का पालन किया जा सकता है लेकिन 19 को जन्मोत्सव के दौरान व्रत नहीं रखा जाएगा क्योंकि यह वैष्णव जन्माष्टमी है जो सन्यासियों द्वारा उत्सव के रूप में मनाई जाती है. हालांकि, ब्रज धाम यानि कि मथुरा वृन्दावन में जन्माष्टमी उत्सव 19 को ही मनाया जाएगा. इसके अतिरिक्त पूजा मुहूर्त की बात करें तो, जो लोग 18 अगस्त के दिन जन्माष्टमी मना रहे हैं उनके लिए रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से लेकर 1 बजे तक का समय कन्हैया की पूजा हेतु सर्वश्रेष्ठ रहेगा.