Chaitra Navratri 2023 : ऐसे करें मां शैलपुत्री की संध्या पूजा, करें इन मंत्रों का जाप और आरती
आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है.
नई दिल्ली :
Chaitra Navratri 2023 : आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. अब ऐसे में सुबह की पूजा के बाद संध्या की पूजा की भी तैयारी अभी से कर लें. संध्या के समय मां देवी की पूजा के साथ उनकी आरती करना भी विशेष विधि-विधान है. आपको बता दें, आज मां शैलपुत्री का दिन है और आज सुबह कलश स्थापना के बाद मां की पूजा हुई और संध्या में उनकी पूजा होगी. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में मां शैलपुत्री की संध्या के समय पूजा करने की विधि के बारे में बताएंगे और कौन से मंत्र का जाप करना शुभ है, साथ ही पूजा के बाद कौन सी आरती करें.
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संध्या के समय गृहस्थ जीवन वाले लोग और देर रात तक तांत्रित लोग पूजा करते हैं. देवी कू पूजा आधी रात में तंत्र सिद्धि के लिए करने का विधि-विधान है, लेकिन संध्या के समय आरती सभी को करना चाहिए. ये बहुत शुभ माना जाता है. देवी आदिशक्ति की पूजा साधारण रूप से सुबह के समय की जाती है, लेकिन आरती, पाठ, मंत्र और उपाय के लिए पूजा शाम के समय की जाती है.
आज संध्या के समय इस मंत्र का करें जाप (Maa Shailputri Mantra)
1. मंत्र वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्.
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्..
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् . कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥
2. या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:.
ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:.
अगर आपको इस मंत्र का जाप करने में कोई समस्या आ रही है, तो आप मात्र इस मंत्र का 11 माला जाप करें. इस मंत्र का जाप करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
3. 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:'
मां शैलपुत्री की करें आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
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