Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. हिंदू धर्म में भी बुद्ध पूर्णिमा को महत्वपूर्ण माना जाता है.
नई दिल्ली :
Buddha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा, जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, भगवान बुद्ध का जन्मदिवस, ज्ञानोदय और महापरिनिर्वाण का पवित्र त्योहार है. यह हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस पावन अवसर पर, लोग भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं, ध्यान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और पंचशील का पालन करते हैं. बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के सम्मान में भी मनाया जाताहै. यह पर्व बुद्ध जयंती के रूप में भी जाना जाता है, जो भगवान बुद्ध के जन्म की तिथि को साझा करता है. इस अवसर पर, बौद्ध धर्मी लोग ध्यान, पूजा, धर्म ग्रंथों का पाठ, और दान-धर्म करते हैं. यह पर्व शांति और समरसता के संदेश को बढ़ावा देता है और मानवता की भलाई के लिए एक समर्पित जीवन की प्रेरणा देता है.
2024 में, वैशाख पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार को पड़ेगी.
वैशाख पूर्णिमा/बुद्ध पूर्णिमा 2024 के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
तारीख: 23 मई 2024 (गुरुवार)
दिन: गुरुवार
नक्षत्र: विशाखा
तिथि: पूर्णिमा
योग: रवि योग
करण: गर
सूर्योदय: 05:52 AM (IST)
सूर्यास्त: 06:52 PM (IST)
चंद्रोदय: 08:07 PM (IST)
चंद्रास्त: 09:02 AM (अगले दिन)
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
यह भगवान बुद्ध का जन्मदिवस है, जिन्हें ज्ञानोदयप्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति माना जाता है. भगवान बुद्ध को ज्ञानोदय प्राप्ति का दिन भी है, जिसके तहत उन्हें सत्यका बोध हुआ. ये महापरिनिर्वाण का दिन भी है, जब वे इस भौतिक दुनिया को छोड़कर मोक्षप्राप्त करते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि ये पंचशील का पालन करने का दिन है, जो बौद्ध धर्म की पांच बुनियादी शिक्षाएं हैं. ध्यान और आत्म-चिंतन के लिए भी ये दिन उत्तम माना जाता है, जो आध्यात्मिक विकास में मदद करता है.
वैशाख पूर्णिमा/बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाएं ?
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान बुद्ध को फूल, फल, धूप और दीप अर्पित करें. बौद्ध धर्म के ग्रंथों का पाठ करें या ध्यान करें. पंचशील का पालन करने का संकल्प लें. दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की मदद करें. अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे नैतिक मूल्यों का पालन करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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