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Unique Love Stroy: जेब में नहीं थे पैसे तो पत्नी से मिलने साइकिल पर भारत से यूरोप पहुंचा शख्स

Unique Love Stroy: पीके महानंदिया के नाम से मशहूर यह शख्स अपनी पत्नी से मिलने सात समंदर पर विदेश जा पहुंचा और वो भी साइकिल से. दरअसल, उनकी पत्नी चार्लोट वॉन शेडविन स्वीडन की रहने वाली हैं.

Updated on: 25 May 2023, 12:17 PM

New Delhi:

Unique Love Stroy: आपने अब तक लैला-मजनू, हीर रांझा और रोमियो जूलियट जैसी न जाने कितनी प्रेम कहानियां पढ़ी होंगी, लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं, जिनकी चर्चा नहीं होती. ये ऐसी कहानियां हैं जिनमें दो प्रेमी एक दूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. इनमें एक ऐसी ही लव स्टोरी है भारत के कलाकार प्रद्युमन कुमार महानंदिया की. पीके महानंदिया के नाम से मशहूर यह शख्स अपनी पत्नी से मिलने सात समंदर पर विदेश जा पहुंचा और वो भी साइकिल से. दरअसल, उनकी पत्नी चार्लोट वॉन शेडविन स्वीडन की रहने वाली हैं.

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महानंदिया और चार्लोट की मुलाकात 1975 में दिल्ली में हुई थी

महानंदिया और चार्लोट की मुलाकात 1975 में दिल्ली में हुई थी. यूरोप से भारत आई चार्लोट ने महानंदिया से अपना पोर्टेट बनवाया था. हालांकि महानंदिया तब कला जगत में नए थे और अपनी पहचान बना रहे थे. दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट में बढ़ने वाले महानंदिया जब पोर्टेट बनाने के संबंध में चार्लोट से मिले तो उन्हें उनसे प्यार हो गया और दोनों ने शादी का फैसला लिया. दोनों ने परिवार के आशीर्वाद से शादी कर ली. लेकिन अब चार्लोट के वापस अपने घर स्वीडन जाना था. चार्लोट ने महानंदिया से स्वीडन चलने को कहा, लेकिन उन्होंने दिल्ली में जारी पढ़ाई के चलते इनकार कर दिया. खैर चार्लोट तो चली गईं. इस बीच दोनों की चिट्ठी के जरिए बातें होती रहीं. 

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महानंदिया ने एक साइकिल खरीदी और लेकर स्वीडन की और निकल पड़े

फिर एक दिन महानंदिया ने पत्नी से मिलने का प्लान बनाया, लेकिन फ्लाइट के लिए पैसे नहीं थे. तब महानंदिया ने एक साइकिल खरीदी और लेकर स्वीडन की और निकल पड़े. महानंदिया पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की होते हुए स्वीडन पहुंचे. इस दौरान उनकी साइकिल कई बार टूटी. उनको भूखे पेट रहना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं टूटी. महानंदिया ने अपनी यूरोप यात्रा 22 जनवरी 1977 को शुरू की थी और रोजाना 70 किलोमीटर साइकिल चलाने के बाद वो इस्तांबुल और वियना होते हुए 28 मई को यूरोप पहुंचे. महानंदिया ने बताया कि इस बीच जिंदा रहने और अपनी यात्रा जारी रखने के लिए मैंने लोगों के पोर्टेट बनाए. इसके बदले लोगों ने मुझे पैसा, खाना व रहने की जगह दी.