ED का Mumbai, Chennai और Delhi में छापा, 1 करोड़ की संपत्ति जब्त की
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने हाल ही में चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में 16 परिसरों में तलाशी अभियान चलाया, जिसमें कुछ कंपनियों के कार्यालय और आवासीय परिसर शामिल थे. कंपनियों में सिक्योरक्लॉड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, प्रो फिन कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड, क्वांटम ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड (क्यूजीएसएल), यूनिटी ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेजर्ट रिवर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. तलाशी में 1.04 करोड़ रुपये नकद, सोने और हीरे के आभूषण, 30 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्तियों की पहचान और विभिन्न डीमैट खातों में अन्य चल संपत्ति के साथ-साथ आपत्तिजनक दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की जब्ती हुई.
नई दिल्ली:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने हाल ही में चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में 16 परिसरों में तलाशी अभियान चलाया, जिसमें कुछ कंपनियों के कार्यालय और आवासीय परिसर शामिल थे. कंपनियों में सिक्योरक्लॉड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, प्रो फिन कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड, क्वांटम ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड (क्यूजीएसएल), यूनिटी ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेजर्ट रिवर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. तलाशी में 1.04 करोड़ रुपये नकद, सोने और हीरे के आभूषण, 30 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्तियों की पहचान और विभिन्न डीमैट खातों में अन्य चल संपत्ति के साथ-साथ आपत्तिजनक दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की जब्ती हुई.
ईडी ने क्यूजीएसएल और इसके निदेशक और रोहित अरोड़ा के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 465, 468, 471 और 120बी के तहत सीसीबी-आई चेन्नई के समक्ष सिक्योरक्लाउड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (एसटीएल) के प्रमोटर और सीईओ सुरेश वेंकटचारी द्वारा दायर प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी. कंपनी, सिक्योरक्लाउड टेक्नॉलोजीस लिमिटेड (एसटीएल), जिसे पहले 8 हजार माइल्स सॉफ्टवेयर सर्विसेज लिमिटेड के नाम से जाना जाता था, एक सॉफ्टवेयर और आईटी सेवा कंपनी है, जिसकी भारत और अमेरिका में उपस्थिति है.
कुछ शेयर दलालों और वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी, जिन्होंने एसटीएल के शेयरों के एवज में उधार लेने के लिए एसटीएल के प्रवर्तक द्वारा गिरवी रखे गए शेयरों को बेच दिया था. शिकायत में यह भी कहा गया है कि जिन शेयर ब्रोकरों ने ऋण प्रदान किया है, उन्होंने डिलीवरी निर्देश पर्ची पर जाली हस्ताक्षर किए और शेयरों को बाजार से बाहर बेच दिया.
ईडी को पता चला है कि इन शेयर ब्रोकरेज और वित्तीय सेवा कंपनियों के निदेशकों और लाभकारी मालिकों ने 160 करोड़ रुपये के शेयरों को ऑफ-मार्केट में स्थानांतरित कर दिया और बाद में अपराध की बड़ी कमाई करने के लिए उन्हें बेच दिया.
मामले में आगे की जांच जारी है.
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