दुनिया के सबसे अमीर और ग्लोबल सिटी कहे जाने वाले न्यूयॉर्क को उसका नया मेयर मिल गया है. लेकिन ये कोई सामान्य जीत नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक लम्हा है. क्योंकि अमेरिका की इस ताक़तवर कुर्सी तक पहुंचने वाले शख़्स हैं. भारत के मूल से जुड़े एक गुजराती मुस्लिम, जिनका नाम जोहरान ममदानी है. 33 साल के ममदानी अब न्यूयॉर्क के पहले भारतीय और पहले मुस्लिम मेयर बनने जा रहे हैं. उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी और न्यूयॉर्क के पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो ने आधिकारिक नतीजों से पहले ही हार स्वीकार कर ली है।
कौन हैं जोहरान ममदानी?
जोहरान का जन्म युगांडा में हुआ था, लेकिन उनके माता-पिता भारत से ताल्लुक रखते हैं. मां मीरा नायर, प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, जिन्होंने नेमसेक और मॉनसून वेडिंग जैसी यादगार फिल्में बनाई हैं. पिता महमूद ममदानी, एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्कॉलर और लेखक हैं. जोहरान सिर्फ 7 साल की उम्र में अमेरिका आ गए थे. ब्रोंक्स हाई स्कूल ऑफ साइंस से पढ़ाई की और आगे चलकर अफ्रीकन स्टडीज़ में डिग्री हासिल की. साल 2018 में उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिली, और महज 28 साल की उम्र में न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली में चुन लिए गए.
राजनीति में तेजी से उभरते सितारे
जोहरान खुद को डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट मानते हैं और 2021 से ही न्यूयॉर्क की राजनीति में सक्रिय हैं. बेहद कम समय में उन्होंने खुद को प्रगतिशील विचारों वाले नेता के रूप में स्थापित कर लिया है. उनका चुनावी अभियान मुख्य रूप से
सार्वजनिक परिवहन (फ्री बस सर्विस), चाइल्ड केयर की सुविधा, किफायती आवास, न्यूनतम वेतन बढ़ाना और अमीरों पर अतिरिक्त टैक्स जैसे इन मुद्दों पर केंद्रित रहा उन्होंने बार-बार कहा कि ये सारे प्रस्ताव आर्थिक न्याय और समान अवसर के सिद्धांतों पर आधारित हैं.
सोशल मीडिया से सीधे दिलों तक
जहां उनके प्रतिद्वंद्वी करोड़ों के चुनावी बजट में डूबे थे, वहीं ममदानी ने टिकटॉक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के जरिए जनता तक सीधा संपर्क बनाया. उनकी छवि एक ऐसे नेता की बनी जो खुद जनता के बीच जाकर वोट मांगता है. बिना दिखावे, बिना प्रचार की भव्यता के. यही वजह रही कि युवाओं, अश्वेत समुदाय और गरीब वर्ग में उन्हें जबरदस्त समर्थन मिला।.
भारत और मुस्लिम समुदाय के लिए गौरव की बात
जोहरान ममदानी की जीत को सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने खुद सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि वो गुजराती मुस्लिम हैं।. साथ ही वे अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के लिए एक नई प्रेरणा बन गए हैं. भारत में कई लोग उन्हें मोदी विरोधी विचारधारा का भी प्रतिनिधि मानते हैं, लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई.
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