Shaikh Hasina: क्या शेख हसीना को मारी जाएगी गोली या देंगे फांसी, बांग्लादेश में कैसे दी जाती है मौत की सजा

Shaikh Hasina: बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक घटनाओं और हाई-प्रोफाइल फैसलों के बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल तेजी से फैल रहा है कि वहां मौत की सजा किस तरह दी जाती है.

Shaikh Hasina: बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक घटनाओं और हाई-प्रोफाइल फैसलों के बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल तेजी से फैल रहा है कि वहां मौत की सजा किस तरह दी जाती है.

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Dheeraj Sharma
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Shaikh Hasina Bangladesh death sentensce

Shaikh Hasina: बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक घटनाओं और हाई-प्रोफाइल फैसलों के बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल तेजी से फैल रहा है कि वहां मौत की सजा किस तरह दी जाती है. कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि वहां सिर काटकर या इस्लामिक कानून के आधार पर सजा दी जा सकती है. लेकिन सच्चाई यह है कि बांग्लादेश का दंड तंत्र पूरी तरह आधुनिक, संवैधानिक और सिविल कानूनों पर आधारित है. आइए इसके वास्तविक नियम को विस्तार से समझें.

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सजा-ए-मौत का कानूनी तरीका: सिर्फ फांसी

बांग्लादेश के क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और जेल मैनुअल के अनुसार मौत की सजा देने का एकमात्र आधिकारिक तरीका फांसी है. न तो कानून में सिर काटने का प्रावधान है, न ही ऐसी कोई प्रशासनिक या ऐतिहासिक परंपरा मौजूद है. इसलिए सोशल मीडिया पर फैल रही इस्लामिक स्टाइल सज़ा के दावे पूरी तरह गलत हैं.

फांसी की प्रक्रिया: ट्रायल कोर्ट से राष्ट्रपति तक

बांग्लादेश में मौत की सजा तुरंत लागू नहीं होती. फैसला लागू होने से पहले पूरा न्यायिक ढांचा सक्रिय होता है:

- ट्रायल कोर्ट सजा सुनाती है

- यह फैसला हाई कोर्ट डिवीजन के पास पुष्टि के लिए जाता है

- दोषी को सुप्रीम कोर्ट अपील का अधिकार मिलता है.

- सब अपीलें खत्म होने पर दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर सकता है.

- सभी कानूनी रास्ते बंद होने के बाद ही कोर्ट ब्लैक वारंट जारी करता है.

- जेल प्रशासन तय तारीख पर फांसी लागू करता है.

कुल मिलाकर यह बहु-स्तरीय व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि किसी भी इंसान को जल्दबाजी में मौत की सजा न दी जाए.

क्या बांग्लादेश इस्लामिक कानून से चलता है?

बांग्लादेश का संविधान इस्लाम को राज्य धर्म मानता है (Article 2A) लेकिन पूरी न्याय प्रणाली धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक कानूनों पर आधारित है. यानी देश में अदालतों के जरिए फैसले दिए जाते हैं. जैसे  ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट. ये सभी सिविल और क्रिमिनल कानून के आधार पर ही फैसले देती हैं. शरिया या धार्मिक दंड प्रणाली का मौत की सजा से कोई संबंध नहीं है.

हर साल कितनी मौत की सजाएं?

Amnesty जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अनुसार, बांग्लादेश में हर साल 160 से अधिक मौत की सजाएं सुनाई जाती हैं. कई मामलों की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती, इसलिए वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है.

क्या महिलाओं को भी फांसी होती है?

हां. बांग्लादेश का कानून लिंग-आधारित भेदभाव नहीं करता. महिलाओं को भी हत्या, अपहरण या ड्रग तस्करी जैसे मामलों में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. 2024 में बोत्स्वाना की लेसिडी मोलापिसी को ड्रग तस्करी में फांसी की सजा इसी का उदाहरण है.

बस फांसी ही है बांग्लादेश में मौत की सजा का तरीका

यानी साफ है बांग्लादेश में मौत की सजा केवल फांसी से लागू होती है न सिर काटने जैसे तरीके कानूनी हैं, न ही बिना विस्तृत न्यायिक समीक्षा के कोई सजा लागू की जाती है. संविधान, अदालतें और राष्ट्रपति सभी स्तरों पर औपचारिक स्वीकृति के बाद ही फांसी दी जाती है. 

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