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रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (social media)
अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की खास बैठक हुई. शांति समझौते को लेकर अमेरिका में चर्चाओं का दौर जारी है. व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की के संग यूरोपीय देशों के कई नेताओं की बैठक हुई. इसमें यूक्रेन युद्ध को अहम चर्चा की गई. व्हाइट हाउस में बैठक के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने डोनाल्ड ट्रंप की जमकर तारीफ की. वहीं यूरोपीय नेताओं को लताड़ लगाई. लावरोव के अनुसार, ट्रंप शांति समझौते को चाहते हैं. वह चाहते हैं कि ये स्थाई हो, वहीं यूरोपीय देश सीजफायर के पक्ष में हैं.
सर्गेई लावरोव ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, 'अलास्का में व्लादिमीर पुतिन के साथ ट्रंप की बातचीत का माहौल बेहतर था. यह स्पष्ट था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी टीम ईमानदारी से युद्ध को रोकने का प्रयास कर रही है. वे इस तरह के परिणाम चाहते हैं जो लंबे वक्त के लिए टिकाऊ होने के साथ विश्वसनीय हो.'
यूरोपीय देश शांति समझौते के पक्ष में नहीं: लावरोव
ट्रंप-जेलेंस्की की बैठक के बारे में लावरोव ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ किया कि सीजफायर की आवश्यकता नहीं है. रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता किया जा सकता है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यही रुख है. मगर यूरोपीय देश ऐसा नहीं चाहते हैं. यूरोपीय नेताओं ने हर वक्त केवल सीजफायर पर जोर दिया. इस तरह से यूक्रेन को हथियार आपूति हो सके..'
ट्रंप के साथ बैठक के लिए यूरोपीय देश भी पहुंचे
ऐसा बताया जा रहा है कि व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोपीय लीडर्स के साथ बैठक हुई. रॉयटर्स की रिपोर्ट ने दावा किया कि इस बैठक में यूरोपीय नेता इसलिए आए ताकि ट्रंप पर किसी भी समझौते को लेकर जेलेंस्की पर दबाव नहीं बना पाएं. इस दौरान ट्रंप-जेलेंस्की की मुलाकात पिछली बार की तुलना में बेहतर रही. दोनों नेता मीडिया के सामने एक-दूसरे की तारीफ करते नजर आए.
पुतिन से फोन पर करीब 40 मिनट तक चर्चा की
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, इतनी जल्द सीजफायर संभव नहीं होगा. मीटिंग में यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने को लेकर चर्चा है. ट्रंप के अनुसार, अमेरिका और यूरोपीय देश मिलकर इस काम को करने वाले हैं. इस बैठक के बीच ट्रंप ने पुतिन से फोन पर करीब 40 मिनट तक चर्चा की. बैठक के बाद जेलेंस्की ने सूचना दी कि सुरक्षा गारंटी के बदले यूक्रेन यूरोप के पैसों से 90 अरब डॉलर करीब 8 लाख करोड़ रुपये अमेरिकी हथियार को खरीदेगा.
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