ईरान और इजराइल का युद्ध 12 दिनों तक चला. इस दौरान इजराइल ने कई सटीक हमले करके ईरान के बड़े नेताओं को मौत के घाट उतार दिया. वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की भी जान खतरे में थी. उन्हें काफी सुरक्षित जगह पर रखा गया, तब जाकर उनकी जान बच पाई. अब ईरान उन गद्दारों को खोजने में लगा है, जिन्होंने इजराइल को इस तरह की खुफिया जानकारी मुहैया कराई. इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के सुरक्षा और खुफिया तंत्र को फेल कर दिया. इसके कारण ईरान के बड़े नेता हमले में मारे गए थे.
खुफिया सेवाओं में बड़ी घुसपैठ
ईरानी अधिकारियों के अनुसार, इजराइल के एजेंटों ने ईरानी खुफिया सेवाओं में बड़ी घुसपैठ की है. इन अधिकारियों को इस बात का शक है कि ईरान के हाईप्रोफ़ाइल नेताओं को जिस तरह से मौत के घाट उतारा गया. उसमें इजराइली सेना को खुफिया एजेंटों से मिली जानकारी काम में आई है.
परमाणु वैज्ञानिकों को मौत के घाट उतार दिया
इजराइल ने हाल के संघर्ष में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) के कई सीनियर कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों को मौत के घाट उतार दिया था. ईरान इन हत्याओं को लेकर देश के अंदर काम कर रहे इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के एजेंटों को जिम्मेदार बताया. इजराइल ने बेहद सीटकता से ईरानी नेताओं को मौत के घाट उतारवा दिया. इसने ईरानी अधिकारियों को हैरान किया है.
विदेशी खुफिया एजेंसियों के संग काम करने के आरोप
अब ईरानी अधिकारी देश की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. ईरान की जांच एजेंसी अब हर उस शख्स को निशाना बना रही है, जिस पर विदेशी खुफिया एजेंसियों के संग काम करने के आरोप लगे हैं. अब युद्ध के दौरान चले संघर्ष में ईरानी अधिकारियों ने इजराइल के लिए जासूसी करने वाले आरोप में तीन को फांसी दी है. युद्धविराम के ठीक एक दिन बाद बुधवार को तीन और लोगों को इस तरह के आरोपों में फांसी दी गई.
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