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Who is Tariq Rahman: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान की 17 साल बाद ढाका वापसी केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि आने वाले आम चुनावों से पहले एक सुनियोजित संदेश के रूप में देखी जा रही है. उनकी वापसी के साथ दिया गया भाषण खुफिया एजेंसियों के आंतरिक आकलन में खास तौर पर रेखांकित किया गया है, क्योंकि इसमें BNP की पारंपरिक आक्रामक राजनीति से स्पष्ट दूरी दिखाई देती है. उन्होंने अपने भाषण से आगे की राह का भी संकेत दिया है तो भारत के लिए संदेश छिपा है.
‘ठंडा और संयमित’ भाषण, BNP की री-ब्रांडिंग
खुफिया नोट के अनुसार, तारिक रहमान ने जानबूझकर संयमित, गैर-टकराव वाला और शांत लहजा अपनाया. न तो किसी बड़े आंदोलन की घोषणा हुई और न ही तीखी या उग्र बयानबाजी देखने को मिली. यह BNP की उस पुरानी छवि से बिल्कुल अलग है, जो कभी सड़क आंदोलनों, हिंसक विरोध और कठोर भाषा से जुड़ी रही है. विश्लेषकों का मानना है कि यह भाषण फरवरी में संभावित आम चुनावों से पहले पार्टी की री-ब्रांडिंग रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत BNP खुद को एक जिम्मेदार और शासन-केंद्रित विकल्प के रूप में पेश करना चाहती है.
विकास की स्वीकारोक्ति, राजनीति में सुलह का संकेत
भाषण का एक अहम पहलू यह रहा कि तारिक रहमान ने यह स्वीकार किया कि उनके देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में काफी बदलाव और विकास हुआ है. उन्होंने बुनियादी ढांचे और आर्थिक प्रगति की सराहना की. यह टिप्पणी इसलिए खास मानी जा रही है, क्योंकि अतीत में वे लगातार शेख हसीना सरकार की आलोचना करते रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यह बयान घरेलू राजनीति में सुलह और संतुलन का संकेत देने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक भरोसे का संदेश है.
दो दर्शक, एक भाषण
खुफिया आकलन के मुताबिक, तारिक रहमान का भाषण दो स्तरों पर लक्षित था. पहला, घरेलू मतदाता, जिनके सामने वे यह संदेश देना चाहते थे कि BNP सत्ता में आने पर स्थिरता, कानून व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी.
दूसरा, अंतरराष्ट्रीय हितधारक, जिनके लिए यह संकेत था कि पार्टी अब अतीत की उथल-पुथल से सीख लेकर लोकतांत्रिक मानकों के अनुरूप आगे बढ़ना चाहती है.
भारत के लिए क्या संदेश?
हालांकि भाषण में भारत का सीधा उल्लेख नहीं हुआ, लेकिन अहिंसा, कानून के राज और अल्पसंख्यक अधिकारों पर जोर को खुफिया एजेंसियां भारत के लिए एक ‘री-अश्योरेंस सिग्नल’ मान रही हैं. इसका मकसद यह बताना था कि अगर भविष्य में BNP सत्ता में आती है, तो वह 2001–06 के उस दौर में वापस नहीं जाएगी, जब भारत-विरोधी गतिविधियों और आतंकी नेटवर्क को लेकर गंभीर चिंताएं थीं. आकलन के अनुसार, BNP फिलहाल ‘इंडिया-फ्रेंडली’ नहीं बल्कि ‘इंडिया-न्यूट्रल’ रुख अपनाने की कोशिश कर रही है.
हीरो जैसी एंट्री और पारिवारिक विरासत
तारिक रहमान की ढाका वापसी किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं रही. उनके समर्थन में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी. उन्होंने नंगे पैर बांग्लादेश की धरती पर खड़े होकर “मां, माटी और मानुष” का संदेश दिया और बीमार मां बेगम खालिदा जिया से मुलाकात की.
तारिक रहमान बांग्लादेश की राजनीति के दो प्रमुख परिवारों में से एक से आते हैं. एक ओर शेख हसीना का परिवार है, तो दूसरी ओर खालिदा जिया का. उनके पिता जिया उर रहमान भी देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
विवादों से भरा अतीत, अनिश्चित भविष्य
तारिक रहमान का अतीत विवादों से अछूता नहीं रहा. 2001–06 के दौर में उन पर भ्रष्टाचार और हिंसा को बढ़ावा देने जैसे आरोप लगे. 2007 में उन्हें सेना ने गिरफ्तार किया, बाद में जमानत पर रिहा होकर वे इलाज के बहाने लंदन चले गए और 17 साल तक लौटे नहीं.
विकिलीक्स के खुलासों में भी उन पर गंभीर आरोप लगाए गए थे.अब वे खुद को एक नए, शांत और जिम्मेदार नेता के रूप में पेश कर रहे हैं. सवाल यही है कि सत्ता मिलने पर यह बदला हुआ रूप कितना टिकाऊ साबित होगा.
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