न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान देते समय मशहूर ब्रिटिश-भारतीय लेखक सलमान रुश्दी पर एक युवक ने हमला किया था, जिसमें उनकी आंखें चली गईं. इस हमले में 27 वर्षीय हादी मतार ने चाकू से उन्हें गहरे घाव दिए. इस मामले में कोर्ट ने मतार को अब 30 वर्ष से अधिक जेल की सजा हो सकती है.
यह हमला अगस्त 2022 में हुआ था. इस हमले में रुश्दी को गंभीर चोटें आई थीं. उनके लीवर को नुकसान पहुंचा, एक आंख की रोशनी जाती रही. उनका हाथ लकवाग्रस्त हो गया. जूरी ने शुक्रवार को हमले की जगह के पास पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य के चौटाउक्वा काउंटी कोर्ट में दो सप्ताह की सुनवाई के बाद मतार को दोषी करार दिया.
जूरी ने मतार को साक्षात्कारकर्ता हेनरी रीस पर भी हमले का भी दोषी पाया. वह लेखक के साथ मंच पर मौजूद थे. हमले के दौरान रीस के सिर में मामूली चोट लगी थी.
मतार पर 23 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
77 वर्षीय रुश्दी ने गवाही दी कि वह ऐतिहासिक चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में मंच पर थे. उसी समय उन्होंने एक व्यक्ति को अपनी ओर भागते हुए देखा. घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमलावर की आंखें देखकर वह दंग रह गए. वह बहुत क्रूर लग रही थीं. पहले तो उन्होंने सोचा कि वह उन्हें मुक्का मारेगा. लेकिन बाद में एहसास हुआ कि युवक ने उन्हें चाकू मारा है. कुल 15 बार चाकू से अटैक किया गया. उनकी आंख, गाल, गर्दन, छाती, धड़ और जांघ पर घाव हो गए.
यह हमला रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास, द सैटेनिक वर्सेज के पहली बार प्रकाशित होने के 35 साल से भी ज़्यादा समय बाद हुआ. पैगंबर मुहम्मद के जीवन से प्रेरित इस उपन्यास ने कुछ मुसलमानों में आक्रोश भर दिया. इसके कंटेंट को ईशनिंदा की श्रेणी मे रखा गया. 1988 में प्रकाशित होने के बाद इस किताब पर कुछ देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया था.
मतार ने यह भी कहा कि द सैटेनिक वर्सेज के केवल कुछ ही पृष्ठ पढ़े हैं. लेबनानी माता-पिता के घर न्यू जर्सी के फेयरव्यू में जन्मे मतार पर लेबनान स्थित आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह की मदद करने के लिए एक अलग संघीय मामले में भी आरोप है. हिजबुल्लाह को पश्चिमी देशों, इजरायल, खाड़ी अरब देशों और अरब लीग ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है.