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पाकिस्तान में इन दिनों पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सेहत और जेल स्थितियों और यहां तक की मौत को लेकर भी खबरें सामने आ रही हैं. हालांकि मौत को लेकर किसी भी तरह की कोई पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन लगातार पाकिस्तान में इमरान के करोड़ों समर्थक, पार्टी कार्यकर्ता और परिवार के सदस्य किसी भी आधिकारिक अपडेट का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे माहौल में इमरान खान की 24 दिन पुरानी वह सोशल मीडिया पोस्ट फिर चर्चा में आ गई है, जो उन्होंने 5 नवंबर को अडियाला जेल में बहन से मुलाकात के बाद एक्स (ट्विटर) पर साझा की थी.
इमरान खान की मौत की अफवाहों के बीच ये लास्ट पोस्ट काफी वायरल हो रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में यह पोस्ट कई संकेत देती है और इमरान खान की सोच, चिंता और आरोपों को एक बार फिर सामने लाती है. खास बात यह है कि अपनी इस पोस्ट में उन्होंने मुनीर को लेकर भी कई बातें कहीं हैं.
पोस्ट में सीधा निशाना-किसकी ओर था इशारा?
उस पोस्ट में इमरान खान ने बार-बार एक ही नाम लिया, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर. उन्होंने छह अलग-अलग बयानों में मुनीर का जिक्र करते हुए देश में कानून के बजाय 'आसिम लॉ' चलने की बात कही थी. खान ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान का संविधान और न्याय व्यवस्था 'कागज़ों तक सीमित' रह गई है और असल फैसले एक ही शक्ति केंद्र की ओर से लिए जा रहे हैं. यह टिप्पणी उस समय भी विस्फोटक मानी गई थी, लेकिन अब जब मुलाकातों पर रोक, स्वास्थ्य संबंधी अफवाहें और राजनीतिक तनाव चरम पर हैं, तब इस पोस्ट का महत्व और बढ़ गया है.
क्रूरता, उत्पीड़न और जुझारू तेवर-इमरान का संदेश
अपनी पोस्ट में इमरान खान ने दावा किया था कि वे और उनकी पत्नी बुशरा बीबी 'अत्यधिक कठोरता' का सामना कर रहे हैं, फिर भी न तो झुकेंगे और न ही समझौता करेंगे. उन्होंने सरकार को कठपुतली शासन बताते हुए कहा था कि PTI ऐसी किसी सरकार से बातचीत नहीं करेगी जिसे, उनके अनुसार, वास्तविक सत्ता केंद्र नियंत्रित कर रहा है.
खान ने यह भी आरोप लगाया था कि पीटीआई कार्यकर्ताओं, महिलाओं और बुजुर्गों पर अत्याचार किए गए और उनकी कानूनी सुनवाई में जानबूझकर देरी कराई जा रही है.
इमरान-मुनीर टकराव की पृष्ठभूमि और बढ़ती खाई
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इमरान खान और जनरल आसिम मुनीर के बीच तनाव नया नहीं है. यह वर्षों पुरानी राजनीतिक-प्रशासनिक खींचतान का हिस्सा रहा है. खान ने अपनी पोस्ट में संकेत दिया था कि उनकी गिरफ्तारी और निरंतर बंदी केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत शत्रुता का परिणाम है.
इस तरह के आरोपों की स्वतंत्र पुष्टि उपलब्ध नहीं है. दूसरी ओर, रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि संवैधानिक संशोधनों और संस्थागत फेरबदल ने सैन्य नेतृत्व की भूमिका को और सशक्त बनाया, जिसके बाद अदालत की ओर से आदेशित साप्ताहिक मुलाकातों में भी अड़चन पैदा हुई.
24 दिन पुरानी पोस्ट क्यों है अब भी प्रासंगिक?
इमरान खान से मुलाकात पर प्रतिबंध, स्वास्थ्य से संबंधित अटकलें और पीटीआई का बढ़ता विरोध इन सभी परिस्थितियों ने पुरानी पोस्ट को एक नए संदर्भ में ला खड़ा किया है. समर्थक इसे इमरान खान की मौजूदा स्थिति की 'पहले से लिखी चेतावनी' मान रहे हैं, जबकि विपक्ष इस पोस्ट को राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बता रहा है. फिलहाल, अडियाला जेल की चुप्पी और प्रशासनिक अनिश्चितता ने इस पोस्ट को फिर सुर्खियों में ला दिया है.
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