Trump's Tariff impact on US Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनियाभर के देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ का असर गुरुवार को अमेरिकी बाजारों में देखने को मिला. ट्रंप के एक एलान से अमेरिकी बाजारों में हड़कंप मच गया और ये कोविड महामारी के बाद पहली बार क्रैश हो गया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापक वैश्विक टैरिफ से अमेरिका सहित दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को होने वाले नुकसान की चिंताओं के चलते दुनिया भर के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली.
अमेरिकी बाजारों पर पड़ा बुरा असर
ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का सबसे ज्यादा असर अमेरिकी बाजारों पर ही देखने को मिला है. जिसके चलते गुरुवार को एसएंडपी 500 में 4.8 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. जो प्रमुख यूरोपीय और एशियाई बाजारों की तुलना में कहीं ज्यादा है. विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिकी बाजारों में ये गिरावट 2020 में आई कोरोना महामारी के बाद से सबसे ज्यादा है. गुरुवार को अमेरिकी बाजार के प्रमुख इंडेक्स में शामिल डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 1,679 अंक (4 प्रतिशत) की भारी गिरावट दर्ज की गई. जबकि नैस्डैक कंपोजिट 6 प्रतिशत टूट गया.
डॉलर की कीमतों में दिखी गिरावट
ट्रंप के टैरिफ के चलते कमजोर होती आर्थिक वृद्धि और बढ़ती मुद्रास्फीति के संभावित असर से वॉल स्ट्रीट पर डर बना रहा. इस बीच बड़ी टेक फर्म के शेयरों से लेकर कच्चे तेल और अन्य मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में भी गिरावट देखने को मिली. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टैरिफ का असर सोने की कीमतों पर भी देखने को मिला. इस टैरिफ के चलते अमेरिका की छोटी कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. अमेरिकी बाजार में छोटे शेयरों का रसेल 2000 सूचकांक 6.6 प्रतिशत गिरकर अपने रिकॉर्ड हाई से 20 प्रतिशत से अधिक नीचे आ गया.
ट्रंप ने दुनियाभर के देशों पर लगाया आयात शुल्क
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत समेत दुनियाभर के देशों पर भारी भरकम टैरिफ लगाने का एलान किया था. ट्रंप ने भारत पर 26 फीसदी आयात शुल्क लगाया है. जबकि सबसे कम टैरिफ 10 प्रतिशत रखा है. ये टैरिफ उन सामानों पर लगाया गया है जो दूसरे देशों से अमेरिका लाए जाते हैं.
ट्रंप ने चीन, यूरोपीय संघ, भारत, कंबोडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत दुनियाभर के कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है. यूबीएस ने संभावना जताई है कि इस टैरिफ के चलते इस साल अमेरिका की आर्थिक वृद्धि में 2 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. इसके साथ ही मुद्रास्फीति बढ़कर 5 प्रतिशत के करीब जा सकती है.