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पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप Photograph: (SM)
भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में शुरू हुई एकतरफा टैरिफ जंग अब धीरे-धीरे शांत होती दिख रही है. कुछ दिनों पहले तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों से यह आभास हो रहा था कि दोनों देशों के रिश्ते अब फिर से पटरी पर लौटने वाले नहीं है. अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था और रूस से तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क भी जोड़ा था. भारत पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ बोझ डाल दिया गया था. इससे यह संदेश गया कि व्यापारिक मोर्चे पर अमेरिका अब किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है.
पीएम मोदी से बातचीत के लिए उत्सुक हूं
लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर जो पोस्ट शेयर किया है. उससे साफ हो रहा है कि ट्रंप का मूड चेंज रहा हो रहा है. उन्होंने लिखा कि भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत की मेज पर आ गए हैं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “दोस्त” बताते हुए कहा कि आने वाले हफ्तों में उनसे बातचीत के लिए उत्सुक हैं.
पीएम मोदी ने भी किया स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस संदेश का गर्मजोशी से जवाब दिया. उन्होंने एक्स पर लिखा कि वे भी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए उत्सुक हैं. मोदी ने भरोसा जताया कि भारत-अमेरिका की व्यापार वार्ताएं दोनों देशों की साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी. मोदी ने यह भी कहा कि हमारी टीमें इस दिशा में काम कर रही हैं और हम मिलकर अपने नागरिकों के लिए उज्जवल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करेंगे.
आखिर ट्रंप को क्या हुआ?
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर ट्रंप अचानक इतने नरम क्यों पड़ गए? विश्लेषकों के अनुसार इसके पीछे दो मुख्य वजहें हो सकती हैं. पहली, यह फैसला व्यक्तिगत हो सकता है क्योंकि ट्रंप का रुख अचानक बदल गया और उन्होंने भारत के साथ दोस्ती पर जोर दिया. दूसरी वजह अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य हो सकता है. हाल ही में चीन के तियानजिन शहर में हुई एससीओ बैठक में जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने व्हाइट हाउस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया. अमेरिका को एहसास हुआ कि टैरिफ विवाद अगर ज्यादा लंबा खिंचता है, तो इसका असर दोनों देशों के सामरिक रिश्तों पर भी पड़ सकता है.
ईयू ने भी भारत पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की सिफारिश दी थी
इसी बीच यूरोपीय संघ (ईयू) ने भी भारत पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की सिफारिश दी थी. ऐसे माहौल में ट्रंप का नरम होना यह संकेत देता है कि अमेरिका व्यापार के मुद्दों से आगे बढ़कर रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. आने वाले हफ्तों में दोनों नेताओं की मुलाकात से स्पष्ट हो जाएगा कि यह बदलाव वास्तविक है या फिर केवल रणनीतिक चाल.
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