अमेरिका में ट्रंप के 50% टैरिफ फैसले पर हंगामा, कई नेताओं ने किया विरोध

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगा दिया है. इस फैसले ने वाशिंगटन की राजनीति में हलचल मच गई है. कई ऐसे नेता हैं, जो इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगा दिया है. इस फैसले ने वाशिंगटन की राजनीति में हलचल मच गई है. कई ऐसे नेता हैं, जो इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं.

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Ravi Prashant
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टैरिफ पर अमेरिका में विवाद Photograph: (IG)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगा दिया है. इस फैसले के बाद से ही लगाने वॉशिंगटन की सियासत में तूफान खड़ा कर दिया है. रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही दलों के नेताओं ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि यह 21वीं सदी की सबसे अहम अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को नुकसान पहुंचा सकता है. 

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भारत-अमेरिका संबंध अब गंभीर खतरे में

CNBC इंटरनेशनल से बातचीत में अमेरिकी डिप्लोमैट कर्ट कैंपबेल ने कहा, “21वीं सदी में अमेरिका का सबसे अहम रिश्ता भारत से है, और यह अब जोखिम में है.” उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप की बयानबाजी ने पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को मुश्किल स्थिति में ला खड़ा किया है. कैंपबेल ने साफ कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को राष्ट्रपति ट्रंप के आगे झुकना नहीं चाहिए.”

उन्होंने यह भी चेताया कि अगर वॉशिंगटन भारत पर रूस से दूरी बनाने का दबाव डालेगा, तो इसका उल्टा असर हो सकता है. कैंपबेल ने कहा, “अगर आप भारत से कहेंगे कि वह रूस से अपने संबंध त्याग दे, तो भारतीय रणनीतिकार बिल्कुल विपरीत रास्ता अपनाएंगे,” 

ट्रंप के पूर्व उपराष्ट्रपति भी विरोध में

ट्रंप के पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इस फैसले का विरोध किया. उन्होंने लिखा, “अमेरिकी कंपनियां और उपभोक्ता ही अमेरिकी टैरिफ का मूल्य चुकाते हैं.” पेंस ने एक लेख भी साझा किया जिसमें बताया गया था कि फोर्ड ने सिर्फ तीन महीनों में 800 मिलियन डॉलर टैरिफ में चुकाए, जबकि उसका ज्यादातर उत्पादन अमेरिका में ही होता है. यह पोस्ट ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर सीधा हमला माना जा रहा है. 

रणनीतिक रिश्तों पर असर

भारत को लंबे समय से अमेरिका का अहम साझेदार माना जाता है, खासकर इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करने के लिए. पिछले कई वर्षों में दोनों देशों ने रक्षा, व्यापार और रणनीतिक वार्ता के जरिए अपने रिश्ते मजबूत किए हैं. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि नया टैरिफ फैसला न सिर्फ इन प्रयासों को कमजोर करेगा बल्कि भारत को बीजिंग या मॉस्को के और करीब धकेल सकता है.

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