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us finance minister scott bessant Photograph: (social media)
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट का मानना है कि रूस और उससे तेल खरीदने वाले देशों पर अधिक प्रतिबंध लगाने चाहिए. ऐसे में देशों में भारत प्रमुख रूप से शामिल है. बेसेंट ने रविवार को दिए एक साक्षात्कार में तर्क दिया कि केवल ऐसे प्रतिबंध ही रूस के व्लादिमीर पुतिन को बातचीत की मेज पर वापस लाएगा. इसके साथ यूक्रेन के साथ शांति वार्ता शुरू कराएगा.
बेसेन्ट ने "रूसी तेल खरीदने वाले देशों" के संदर्भ में किसी का नाम नहीं लिया. मगर इस मामले में भारत पर बड़ा टैरिफ लगा हुआ है. इसके बावजूद हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेस और सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पारस्परिक प्रशंसा और मित्रता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा,"हम अब इस द्वंद में है कि यूक्रेनी सेना कितने समय तक टिक सकती है, वहीं रूसी अर्थव्यवस्था कितने समय तक टिकेगी? अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर और प्रतिबंध लगा सकते हैं और अधिक द्वितीय शुल्क लगा सकते हैं, तो रूसी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी और राष्ट्रपति पुतिन को दबाव में आना पड़ेगा."
रूसी तेल और गैस के ग्राहक मिल गए
युद्ध की शुरुआत से ही रूस अमेरिका और यूरोप की ओर से कड़े प्रतिबंध झेल रहा है. उसे भारत, चीन और अन्य जगहों पर रूसी तेल और गैस के ग्राहक मिल गए हैं. कई शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने भारत पर लगाए गए शुल्कों को पुतिन के खिलाफ "लाभ" के रूप में वरण किया है. अमेरिका ने कई मौकों पर यूक्रेन में संघर्ष को "मोदी का युद्ध" कहा है और भारत पर "रूसी युद्ध मशीनरी को बढ़ावा देने" का आरोप लगाया है.
संप्रभु राष्ट्रीय हित में कार्य कर रहा
भारत ने अपने रूसी तेल सौदों पर 25 प्रतिशत "दंडात्मक" शुल्क लगाने के तर्क पर सवाल उठाया है. इससे अधिकांश भारतीय उत्पादों पर कुल अमेरिकी आयात शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है. भारत ने इस दौरान तर्क दिया कि यह केवल संप्रभु राष्ट्रीय हित में कार्य कर रहा है.
अधिक प्रतिबंधों और परिणामी शुल्कों के बारे में, राष्ट्रपति ट्रम्प और उपराष्ट्रपति जेडी वैंस ने शुक्रवार को यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से बात की. ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि बाद में उन्होंने बेसेंट से प्रतिबंधों के बारे में बात की.