बेंजामिन नेतन्याहू के अटैकिंग मोड पर ट्रंप ने फेर दिया पानी, बोले- ईरान पर हमला अभी नहीं करें

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ईरान पर हमला करने से रोक दिया है. राष्ट्रपति ने कहा कि हम समझौते के करीब हैं, इसलिए अभी ईरान पर कोई सैन्य हमला न करें.

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Ravi Prashant
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अमेरिकी राष्ट्रपति और इज़रायली प्रधानमंत्री Photograph: (X)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलासा किया है कि उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कहा था कि ईरान पर सैन्य हमला फिलहाल न किया जाए. ट्रंप के मुताबिक, यह कदम न्यूक्लियर डील की दिशा में चल रही बातचीत को और समय देने के लिए जरूरी था. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “मैंने नेतन्याहू से कहा कि अटैक अभी करना सही नहीं होगा क्योंकि हम समाधान के बेहद करीब हैं.”

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ईरान ने भी दिया संकेत? 

इस बीच, ईरान ने भी संकेत दिया है कि अगर अमेरिका उसके जमे हुए फंड्स रिलीज करता है और शांतिपूर्ण उपयोग के लिए यूरेनियम संवर्धन (uranium enrichment) के अधिकार को मान्यता देता है, तो वह एक साल के लिए यूरेनियम संवर्धन को रोक सकता है.  यह एक राजनीतिक समझौता हो सकता है जो व्यापक न्यूक्लियर डील का आधार बन सकता है.

दो ईरानी अधिकारियों ने खोल राज? 

रायटर्स को दो ईरानी अधिकारियों ने बताया कि अगर अमेरिका कुछ प्रमुख शर्तें स्वीकार करता है, तो जल्द ही एक राजनीतिक सहमति बन सकती है. एक साल के लिए ईरान यूरेनियम संवर्धन रोक सकता है. अमेरिका को ईरान की enrichment की वैधता को NPT (Nuclear Non-Proliferation Treaty) के तहत मान्यता देनी होगी. अमेरिका को ईरानी तेल राजस्व को रिलीज़ करना होगा

IAEA ने क्या कहा? 

संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA के प्रमुख राफाएल ग्रॉसी ने कहा कि “अभी निर्णायक पल नहीं आया है, लेकिन बातचीत होना एक सकारात्मक संकेत है.” 2015 की JCPOA डील, जिसमें ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम पर सीमाएं लगाई गई थीं, ट्रंप के 2018 में समझौते से बाहर निकलने के बाद टूट गई थी. इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव काफी बढ़ गया.

क्या अमेरिका और ईरान बन जाएगी सहमति? 

अमेरिका का कहना है कि किसी भी नए समझौते में ईरान को पूरी तरह से यूरेनियम संवर्धन रोकने का वादा करना होगा, क्योंकि यही तकनीक भविष्य में परमाणु हथियार बनाने का रास्ता खोल सकती है. जबकि ईरान लगातार कहता आया है कि उसका कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और वह अपने संवैधानिक अधिकारों से समझौता नहीं करेगा.

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या अमेरिका और ईरान के बीच एक नया राजनीतिक समझौता हो पाएगा जो परमाणु तनाव को कम कर सके, या फिर यह बातचीत भी अतीत की तरह नाकाम हो जाएगी.

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