आखिर क्यों खास है वो शिव मंदिर, जिसको लेकर आपस में भिड़ गए थाईलैंड और कंबोडिया, लड़ाई का लंबा है इतिहास

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच में एक पौराणिक मंदिर को लेकर जंग छिड़ गई है, प्रीह विहार नाम से यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. मंदिर पर दावा कर रहे दोनों देशों के बीच फिलहाल संघर्ष जारी है.

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच में एक पौराणिक मंदिर को लेकर जंग छिड़ गई है, प्रीह विहार नाम से यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. मंदिर पर दावा कर रहे दोनों देशों के बीच फिलहाल संघर्ष जारी है.

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Mohit Sharma
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Thailand-Cambodia Border Clash

Thailand-Cambodia Border Clash Photograph: (सोशम मीडिया)

Thailand-Cambodia Border Clash: साउथ-ईस्ट के दो देशों थाईलैंड और कंबोडिया में इन दिनों जंग छिड़ी हुई है. पिछले 24 घंटों के भीतर ही इस तनाव में 12 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. बॉर्डर पर दोनों देशों की तरफ गोलीबारी जारी है. थाईलैंड ने जहां एफ-16 का इस्तेमाल किया है, वहीं कंबोडिया ने थाईलैंड पर रॉकेट दागे हैं. मरने वालों में ज्यादातर लोग थाईलैंड के बताए जा रहे हैं. इस बीच कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बैठक बुलाने की मांग की है और थाईलैंड की तरफ जारी हमलों पर रोक लगाने की गुहार लगाई है. थाईलैंड-कंबोडिया आसियान देशों के बीच की लड़ाई एक पौराणिक शिव मंदिर है, जो दोनों देशों की सीमा पर स्थित है. 

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क्या कहती है थाईलैंड की पर्यटन साइट

थाईलैंड पर्यटन की ऑफिशियल साइट के अनुसार थाईलैंड-कंबोडिया बॉर्डर पर स्थित इस मंदिर का नाम प्रसात टा मुएन थोम है. यह एक पुरातात्विक स्थल का हिस्सा है. मंदिर के अलावा यहां खमेर शैली से निर्मित दो ढांचे भी हैं, जो धार्मिक रूप से इसी पुरातात्विक स्थल के भाग हैं. यह मंदिर और दोनों ढांचे थाईलैंड के बान नोंग खन्ना इलाके में स्थित डांगरेक पर्वतों के बीच स्थित हैं. 

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क्या है प्रीह विहार मंदिर का इतिहास

दरअसल, 11वीं और 12वीं शताब्दी के आसपास थाईलैंड और कंबोडिया एक बी भू-भाग का हिस्सा थे. उस समय यह खमेर वंश का साम्राज्य था. खमेर वंश के शासन में हिंदुत्व का बोल-बाला था. उसी समय इस शिव मंदिर का निर्माण हुआ था. 14वीं शताब्दी के आसपास यहां फ्रांसियों का कब्जा हो गया, जिन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमांकन कराया और एक बॉर्डर निश्चित कराया. क्योंकि यह शिव मंदिर दोनों देशों की सीमा पर स्थित है, इसलिए दोनों के बीच इस प्रीह विहार मंदिर को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है. द्वित्तीय विश्व युद्ध के दौरान थाईलैंड ने जापान का साथ दिया. इस बीच थाईलैंड ने जापान के साथ मिलकर कंबोडिया के प्रे विहार मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया. 1945 में द्वित्तीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद कंबोडिया थाईलैंड के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)पहुंचा. क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में जापान के खिलाफ लहर थी और थाईलैंड ने उसका साथ दिया था. इसलिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने कंबोडिया का साथ दिया और थाईलैंड को झटका देते हुए प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया की सीमा में होना बताया. 

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पिछले 17 सालों से युनस्को वर्ल्ड हेरिटेज का हिस्सा है मंदिर

बावजूद इसके प्रीह विहार मंदिर को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद बना रहा. यह झगड़ा उस समय और गहरा गया, जब कंबोडिया इस मंदिर को इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन यूनेस्को में लेकर पहुंचा और वर्ल्ड हेरिटेज (विश्व धरोहर)  घोषित करवाया. क्योंकि ऐसा करने पर मंदिर पर कंबोडिया का दावा ज्यादा मजबूत हो रहा था. 2008 में भी जब युनेस्को ने मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया तो दोनों देशों में युद्ध छिड़ गया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मंदिर पिछले 17 सालों से युनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल है. 

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