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जयशंकर (social media)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि इजरायल और ईरान के बीच तनाव "चिंता का स्रोत" है और भारत के राजनयिक प्रयास इस मुद्दे को संबोधित करने पर केंद्रित हैं. उन्होंने बहरीन में मनामा डायलॉग में अपने संबोधन में कहा कि भारत पश्चिम एशिया में संघर्ष से उत्पन्न सुरक्षा स्थिति को कम करने में रुचि रखता है, क्योंकि इसका व्यापार पर प्रभाव पड़ता है. इसमें समुद्री मार्गों के परिवर्तन और व्यापार की बढ़ती लागत भी शामिल है.
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आर्थिक और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की
शनिवार से बहरीन की दो दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने कई आर्थिक और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की. इसमें संघर्षों को आगे बढ़ने से रोकना और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाएं शामिल हैं. दक्षिण व्यापार गलियारा (आईएनएसटीसी) को लेकर उन्होंने कहा, "हाल के दिनों में, हम सभी के लिए, इजराइल और ईरान के बीच संबंध या इसकी अनुपस्थिति विशेष रूप से चिंता का विषय रही है. ऐसे में हमारे कुछ राजनयिक प्रयासों ने उस विशेष पहलू पर ध्यान केंद्रित किया है."
ऊर्जा आपूर्ति के लिए पश्चिम एशिया पर निर्भर
भारत, जो ऊर्जा आपूर्ति के लिए पश्चिम एशिया पर निर्भर है और इस क्षेत्र में लगभग नौ मिलियन प्रवासी हैं. इजराइल-हमास संघर्ष और ईरान और इजराइल के बीच तनाव को बढ़ती चिंता के साथ देखा है. हमास की ओर से किए गए आतंकी हमलों और बंधक बनाने की घटनाओं की निंदा करते हुए, भारत ने कहा है कि इजरायल की प्रतिक्रिया में मानवीय चिंताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. इसने शत्रुता को समाप्त करने और दो-राज्य समाधान खोजने के लिए बातचीत और कूटनीति की ओर लौटने का भी आह्वान किया है.