मुंबई हमले 26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनके प्रत्यर्पण पर इमरजेंसी स्टे लगाया जाए. याचिका में तहव्वुर राणा ने कहा 'अगर मुझे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा. मैं यहां पर अधिक सर्वाइव नहीं कर पाऊंगा. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि पाकिस्तान मूल का मुस्लिम होने के कारण उसे भारत में बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जाएगा.' ह्यूमन राइट्स वॉच 2023 की वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बीजेपी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुस्लिमों के साथ भेदभाव करती है.
याचिका में कहा कि भारत सरकार को सौंपे जाने पर उन्हें काफी प्रताड़ित किया जाएगा. तहव्वुर राणा ने बताया कि वह कई तरह की की बीमारियों से परेशान हैं. वह पार्किंसंस की समस्या से काफी परेशान हैं. उन्हे ऐसी जगह नहीं भेजा जाए. भारत में राष्ट्रीय, धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर लोगों को निशाना बनाया जाया जा रहा है.
आखिर कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा की पैदाइश पाकिस्तान की थी. उसने आर्मी मेडिकल कॉलेज से अपनी पढ़ाई की. पाकिस्तान आर्मी में 10 साल तक बतौर डॉक्टर के रूप में काम किया. इस दौरान तहव्वुर राणा को अपना काम पसंद नहीं आया. उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी. भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल तहव्वुर राणा अभी कनाड़ा का नागरिक है. वह शिकागो का निवासी भी रहा. यहां पर उसका बिजनेस है. अदालत के मिले दस्तावेजों के अनुसार, उसने कनाड़ा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड की यात्राएं भी की हैं. वह करीब 7 भाषाएं को बोल सकता है.
अदालत में जमा दस्तावेजों के आधार पर तहव्वुर ने 2006 से लेकर नवंबर 2008 तक पाकिस्तान में डेविड हेडली और दूसरे लोगों के साथ मिलकर हमले की साजिश रची. इस दौरान तहव्वुर राणा ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत उल जिहाद ए इस्लामी की सहायता भी की. मुंबई आतंकी हमले की प्लानिंग की. इसे अमली जामा पहनाने की कोशिश की. बाद में आतंकी हेडली इस केस में सरकारी गवाह बन गया.
26/11 को क्या हुआ?
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को आतंकी हमला हुआ. आतंकियों ने इस हमले को नाकाम करने को लेकर 200 एनएसजी कमांडो और सेना के पचास कमांडो को मुंबई भेजा. इसके साथ सेना की पांच टुकड़ियों को तैनात किया गया. हमले के वक्त नौसेना को भी सतर्क किया गया था. इस हमले में कई लोग मारे गए.