स्विट्ज़रलैंड ने भारतीय कंपनियों से प्राप्त लाभांश पर 10% कर लगाने की घोषणा की है. इसके साथ ही भारत को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (एमएफएन) का दर्जा निलंबित कर दिया है. यह कदम स्विट्ज़रलैंड की ओर से हाल ही में किए गए एक अहम निर्णय का हिस्सा है, जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों पर असर डाल सकता है.
कर ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कदम
स्विट्ज़रलैंड के वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह कर लगाना भारत से लाभांश आय के प्रवाह पर नए नियमों के तहत किया गया है. इससे पहले भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच एमएफएन का दर्जा होने के कारण, भारतीय कंपनियों को स्विट्ज़रलैंड से प्राप्त लाभांश पर विशेष कर लाभ मिलता था. अब इस दर्जे के निलंबन से भारत को व्यापारिक नुकसान हो सकता है, वहीं स्विट्ज़रलैंड के लिए यह कदम अपने घरेलू कर ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है.
निवेश के लिए नई चुनौतियां
भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच यह कदम व्यापार और निवेश के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि स्विट्ज़रलैंड यूरोप में एक प्रमुख वित्तीय केंद्र है और दोनों देशों के बीच वित्तीय लेन-देन में यह बदलाव महत्वपूर्ण हो सकता है.
अतिरिक्त कर भार का सामना करना पड़ेगा
इस फैसले के बाद, भारतीय कंपनियों को स्विट्ज़रलैंड से लाभांश प्राप्त करने पर अतिरिक्त कर भार का सामना करना पड़ेगा, जो उनके वित्तीय प्रदर्शन पर असर डाल सकता है. भारत सरकार और स्विट्ज़रलैंड के अधिकारियों के बीच इस मसले पर बातचीत जारी है.