मिडिल ईस्ट में तेजी से बढ़ते तनाव बाद भी अमेरिका और ईरान के बीच पर्दे के पीछे कूटनीतिक बातचीत जारी है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ईरानी विदेश उपमंत्री अब्बास अराकची के बीच पिछले सप्ताह से कई बार फोन पर बातचीत हुई है. ये बातचीत तब शुरू हुई जब 13 जून से इजराइल ने ईरान पर हमले शुरू किए.
गोलियों के सामने में नहीं होगी बात
रिपोर्ट में तीन राजनयिकों के हवाले से बताया गया है कि इन संवादों का उद्देश्य तनाव को कम करना और क्षेत्रीय संघर्ष को रोकना है. हालांकि, ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक इज़राइल अपने सैन्य अभियान को नहीं रोकता, तब तक वह किसी भी प्रकार की कूटनीतिक वार्ता में हिस्सा नहीं लेगा. एक राजनयिक ने कहा, “तेहरान गोलियों के साए में कोई बातचीत नहीं करेगा.”
इस बीच, अमेरिका के विदेश विभाग और ईरान के विदेश मंत्रालय ने इन गुप्त वार्ताओं की पुष्टि नहीं की है. लेकिन अमेरिका के सहयोगी देशों की ओर से भी लगातार संयम बरतने की अपील की जा रही है, क्योंकि आशंका है कि यह संघर्ष व्यापक युद्ध का रूप ले सकता है.
एक हफ्ते से जारी है संघर्ष
इजराइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ अब तक का सबसे तीखा बयान देते हुए कहा, “अब खामेनेई को जीवित नहीं रहने दिया जा सकता.” उन्होंने खामेनेई को “कायर तानाशाह” बताया और उन पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया.
खामेनेई ने दी अमेरिका को चेतावनी
तेल अवीव के पास एक अस्पताल पर मिसाइल हमले के बाद यह बयान आया जिसमें 47 लोग घायल हुए. इजराइल का कहना है कि यह हमला जानबूझकर आम नागरिकों को निशाना बनाकर किया गया था. वहीं, ईरानी सर्वोच्च नेता खामेनेई ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की "बिना शर्त आत्मसमर्पण" की मांग को सख्ती से खारिज कर दिया है.
खामेनेई ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने सैन्य हस्तक्षेप किया तो उसे अपूरणीय क्षति उठानी पड़ेगी. उन्होंने कहा, “ईरानी राष्ट्र को झुकाया नहीं जा सकता,” और धमकी की भाषा को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया.
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