सऊदी अरब ने बनाया मौत की सजा का खतरनाक रिकॉर्ड, एक साल में इतने लोगों को सूली पर लटकाया, मानवाधिकारों को लेकर बढ़ी चिंता

Saudi Arabia News: सऊदी अरब ने फांसी देने का सबसे खतरनाक रिकॉर्ड बना दिया है. बता दें कि इस साल अब तक 340 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है, जो खुद सऊदी इतिहास का सबसे ऊंचा आंकड़ा है.

Saudi Arabia News: सऊदी अरब ने फांसी देने का सबसे खतरनाक रिकॉर्ड बना दिया है. बता दें कि इस साल अब तक 340 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है, जो खुद सऊदी इतिहास का सबसे ऊंचा आंकड़ा है.

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Deepak Kumar
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Saudi Arabia News: सऊदी अरब ने एक ही साल में मौत की सजा देने का अपना अब तक का सबसे डरावना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. समाचार एजेंसी AFP की गिनती के अनुसार, इस साल अब तक 340 लोगों को फांसी दी जा चुकी है. यह आंकड़ा सऊदी अरब के इतिहास में सबसे ज्यादा है. आपको बता दें कि इससे पहले 2024 में 338 लोगों को मौत की सजा दी गई थी. यानी सऊदी अरब ने लगातार दूसरे साल अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

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यह ताजा आंकड़ा तब सामने आया, जब सऊदी गृह मंत्रालय ने पुष्टि की कि मक्का में सोमवार (15 दिसंबर) को हत्या के एक मामले में तीन लोगों को फांसी दी गई. इसके साथ ही इस साल दी गई कुल फांसियों की संख्या 340 हो गई. इस बढ़ती संख्या ने पूरी दुनिया में मानवाधिकारों को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है.

ड्रग्स मामलों में सबसे ज्यादा फांसी

मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, इस साल दी गई फांसियों में से 232 मौत की सजाएं सिर्फ ड्रग्स से जुड़े मामलों में दी गई हैं. चिंता की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर अपराध जानलेवा नहीं थे. अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार, मौत की सजा केवल “सबसे गंभीर अपराधों”, यानी जानबूझकर की गई हत्या तक सीमित होनी चाहिए. लेकिन सऊदी अरब पर आरोप है कि वह इस नियम को लगातार नजरअंदाज कर रहा है.

ड्रग्स मामलों के अलावा, आतंकवाद के आरोपों में भी कई लोगों को फांसी दी गई. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इन मामलों में लगाए गए आरोप अक्सर अस्पष्ट होते हैं और बहुत व्यापक कानूनों के तहत लोगों को दोषी ठहरा दिया जाता है.

नाबालिगों को भी नहीं बख्शा गया

मानवाधिकार संगठनों के लिए सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हाल के महीनों में दो ऐसे लोगों को भी फांसी दी गई, जो कथित अपराध के समय नाबालिग थे. यह संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि का सीधा उल्लंघन है, जिस पर सऊदी अरब ने हस्ताक्षर किए हैं.

2020 में अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद सऊदी सरकार ने कहा था कि नाबालिगों को मौत की सजा नहीं दी जाएगी. इसके बावजूद ऐसी फांसियां सामने आ रही हैं. ब्रिटेन स्थित संगठन ALQST (अल कस्त) का कहना है कि कम से कम पांच और कैदी ऐसे हैं, जिन्हें नाबालिग अवस्था के अपराधों के बावजूद कभी भी फांसी दी जा सकती है.

‘जिंदगी के अधिकार’ पर हमला

ALQST की शोधकर्ता नदीयीन अब्दुलअजीज ने सऊदी अरब के रवैये को “जिंदगी के अधिकार की निर्दयी और खतरनाक अनदेखी” बताया है. उनका कहना है कि कई मामलों में आरोपियों से यातना के जरिए कबूलनामे लिए गए, ट्रायल में गंभीर खामियां रहीं और फिर मौत की सजा सुना दी गई. फांसी पाने वालों में बड़ी संख्या विदेशी नागरिकों की भी है, खासकर ड्रग्स मामलों में.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, चीन और ईरान के बाद सऊदी अरब 2022, 2023 और 2024 में दुनिया में सबसे ज्यादा फांसी देने वाले देशों में तीसरे नंबर पर रहा. 2025 के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि स्थिति आने वाले समय में और भी भयावह हो सकती है.

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