विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बुधवार को अफ्रीका और जापान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी पर जोर दिया. उन्होंने इस दौरान भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर जोर दिया. वे जापान-भारत-अफ्रीका व्यापार मंच पर थे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और जापान अफ्रीका के निरंतर विकास का समर्थन करते रहेंगे.
विदेश मंत्री ने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत का जुड़ाव दीर्घकालिक, स्थायी साझेदारी पर आधारित है. उन्होंने कहा, अफ्रीका के प्रति भारत का दृष्टिकोण हमेशा से ही दीर्घकालिक रहा है. यह पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी बनाने की गहरी प्रतिबद्धता से जुड़ा हुआ है. यह शोषणकारी मॉडलों के विपरीत है. भारत क्षमता निर्माण, कौशल विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर विश्वास रखता है. अफ्रीकी देश न केवल निवेश से लाभान्वित हों, बल्कि आत्मनिर्भर विकास हासिल कर सकें.
डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूती मिली
जयशंकर ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम, पैन अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना और उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं (एचआईसीडीपी) जैसी प्रमुख पहलों पर जोर दिया. इसकी मदद से अफ्रीका में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूती मिली है.
2019 में भारत ने अफ्रीकी देशों में कई योजनाओं को लॉच किया. आभासी शिक्षा और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती नेटवर्क को लॉन्च किया. अब तक 19 अफ्रीकी देशों के छात्रों ने इस पहल के तहत विभिन्न स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में एडमिशन लिया. जयशंकर ने अफ्रीका के चौथे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में भारत के हालात पर प्रकाश डाला. इसमें द्विपक्षीय व्यापार लगभग 100 बिलियन डॉलर का हो चुका है.
जापानी कंपनियों को भी सराहा
जयशंकर ने अफ्रीका और मध्य पूर्व में विस्तार को लेकर इच्छुक जापानी कंपनियों को भी सराहा. इसमें एक साथ काम करने के लिए माहौल बना है. उन्होंने कहा, जापानी निवेश, भारत का मजबूत औद्योगिक आधार एकसाथ आ सकेंगे. इससे अफ्रीका को लाभ होगा. विदेश मंत्री ने कहा, भारत और जापान लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन पर आधारित एक रिश्ता साझा करते हैं. इसके साथ ही स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के लिए एक समान नजरिया रखते हैं.
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